निर्भया गैंगरेप केस के दो दोषियों की क्यूरेटिव पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. जिसके बाद अब दोनों की फांसी 22 जनवरी को तय हो चुकी है. क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होने के बाद दोषियों ने अपना आखिरी विकल्प भी खो दिया है. याचिका खारिज होने के बाद अब तय तारीख और समय के मुताबिक दोषियों को फांसी होगी.
सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने विनय और मुकेश की क्यूरेटिव पिटिशन पर सुनवाई की. इस बेंच में जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस आर भानुमती और जस्टिस अशोक भूषण का नाम शामिल थे. बता दें कि दोषियों ने बचने के लिए कई तरह की दलीलें दीं. एक दोषी ने अपनी क्यूरेटिव पिटीशन में युवावस्था का हवाला देते हुए माफी की अपील की थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
डेथ वारंट हुआ था जारी
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 7 जनवरी को चारों आरोपियों का डेथ वारंट जारी कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि चारों आरोपियों को 22 जनवरी सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा. इसके लिए तिहाड़ जेल को भी निर्देश जारी कर दिए गए थे. दोषियों को 15 दिन का वक्त दिया था कि वो अपनी आखिरी अपील दायर कर सकते हैं. लेकिन चारों दोषियों पर कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद उनके वकील एपी सिंह मीडिया के सामने आकर कहा था कि वो सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर करेंगे. अब कोर्ट के फैसले के बाद दो दोषियों की फांसी 22 जनवरी को होना तय हो चुका है.
क्या होती है क्यूरेटिव पिटीशन?
क्यूरेटिव पिटीशन या सुधारात्मक याचिका किसी दोषी के पास मौजूद अंतिम कानूनी उपाय होता है. कोर्ट का अंतिम फैसला आने के बाद दोषियों को एक आखिरी विकल्प दिया जाता है कि वो जज के सामने क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर सकते हैं. इस क्यूरेटिव पिटीशन पर जज के कमरे में विचार होता है.
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