धीमी अर्थव्यवस्था से मजबूर होकर सरकार को कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत में उच्च शिक्षा के लिए विदेशी निवेश और बाहरी वाणिज्यिक उधारी पर उम्मीदें लगा रखी हैं. शनिवार को संसद में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बजट पेश करते हुए सीतारमण ने भारत के शिक्षण स्तर और कौशल क्षमता में विकास लाने के लिए कई कदमों की घोषणा की.
सरकार ने हालांकि इस क्षेत्र में पिछले साल से 10,000 करोड़ रुपये ज्यादा आवंटित किए हैं. सीतारमण ने संसद में कहा, "हमारी सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए शिक्षा क्षेत्र को 99,300 करोड़ रुपये और 3,000 करोड़ रुपये कौशल विकास के लिए आवंटित करने का फैसला किया है."
इस साल की तुलना में उन्होंने पांच जुलाई, 2019 को पेश किए अपने पहले बजट भाषण में शिक्षा क्षेत्र को 94,853 करोड़ रुपये आवंटित किए थे.
भारत 2030 तक दुनिया का सबसे बड़ा कामकाजी आयु वाला देश बनने वाला है, जिसे देखते हुए सरकार ने शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्रों में वृद्धि के लिए महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है. पैसे की कमी के कारण हालांकि सरकार को अन्य वित्तीय विकल्पों पर नजर डालने पर विचार करना पड़ा है.
वित्त मंत्री ने अपने भाषण में शिक्षा पर क्या-क्या कहा?
- वित्तमंत्री का कहना है कि दो लाख सलाह आईं हैं, नई शिक्षा नीति जल्द आएगी.
- दो लाख सलाह आईं-नई शिक्षा नीति जल्द आएगी
- मार्च 2021 तक 150 नए डिप्लोमा संस्थान
- एजुकेशन में FDI
- अर्बन लोकल बॉडीज में फ्रेश इंजीनियरों को एक साल की इंटर्नशिप
- क्वालिटी शिक्षा के लिए - डिग्री लेवल ऑनलाइन एजुकेशन प्रोग्राम, टॉप 100 संस्थान प्रोग्राम चलाएंगे
- नेशनल पुलिस यूनिवर्सिटी और नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी
- जहां जिला अस्पताल हैं, वहां मेडिकल कॉलेज
- विदेशों में शिक्षकों, नर्सों की मांग पूरी करने के लिए - स्पेशल ट्रेनिंग प्रोग्राम
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