मोदी सरकार के खिलाफ पहली बार अविश्वास प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया है. 20 जुलाई को इसपर चर्चा और वोटिंग होगी. इस बीच यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में नंबर होने की बात कही है. सोनिया ने सवालिया अंदाज में पूछा है- कौन कहता है कि हमारे पास नंबर नहीं है.
वहीं संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार का कहना है कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए तैयार है दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा. ऐसे में जानना जरूरी है कि आखिर बीजेपी और एनडीए के पास इस प्रस्ताव से बचाव के लिए पर्याप्त समर्थन है या नहीं. अगर है, तो किस आधार पर सोनिया गांधी अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में नंबर होने का दावा कर रही हैं.
लोकसभा का गणित
लोकसभा का वर्तमान गणित तो ये कहता है कि बीजेपी के पास पर्याप्त बहुमत है. दरअसल, लोकसभा में 9 सीट खाली होने के कारण बहुमत का आंकड़ा खिसकर 268 पर पहुंच गया है. लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को छोड़कर भी बीजेपी के सांसदों की संख्या 272 है. जो बहुमत के आंकड़े से 4 ज्यादा है.
ऐसे में फिलहाल, तो बीजेपी पर कोई खतरा नहीं दिख रहा है. सत्ताधारी एनडीए गठबंधन में बीजेपी की 272 सीटों के अलावा उसके सहयोगियों दलों की सीटों की संख्या 40 है. ऐसे में एनडीए की कुल ताकत 312 सीटों की है.
सहयोगी दलों की नाराजगी किरकिरी करा सकती है?
हालांकि, बीजेपी के सहयोगी दलों की नाराजगी पार्टी की किरकिरी करा सकती है. शिवसेना पहले से ही रूठी हुई है. शाह-ठाकरे के मुलाकात के बाद भी पार्टी ने तेवर दिखाए थे और अकेले चुनाव लड़ने की बात कही थी.
महाराष्ट्र उपचुनाव में भी पार्टी ने अकेले दम पर चुनाव लड़ा था. ऐसे में 18 सांसदों वाली शिवसेना बागी रुख अख्तियार कर सकती है. बीजेपी के पुराने सहयोगी रह चुकी टीडीपी के ही सांसद एस केसीनेनी ने ही बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर टीडीपी, एनडीए गठबंधन से अलग हो गई थी.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंनेएस केसीनेनी, तारिक अनवर, मल्लिकार्जुन खडगे समेत कुछ दूसरे सदस्यों के अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार किया है और अब वो इस नोटिस को सदन के समक्ष रख रही हैं. अध्यक्ष ने उन सदस्यों से खड़े होने का आग्रह किया जो अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस के पक्ष में हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे सदस्यों की संख्या 50 से अधिक है, इसलिये ये प्रस्ताव सदन में स्वीकार होता है.
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