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कमाल है, नोटबंदी का कश्मीर के लोगों में कोई डर नहीं!

कश्मीर के खराब हालात के कारण कोई भी कश्मीरी बड़ी मात्रा में नकदी अपने पास नहीं रखता.

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देश में 500 और 1,000 रुपये की नोटबंदी के कारण हर तरफ अफरातफरी का माहौल है, लेकिन कश्मीर के लोगों में सरकार के इस कदम को लेकर कोई डर नहीं है.

क्या कहना है लोगों का...

कश्मीर यूनिवर्सिटी में इकाॅनोमिक्स पढ़ाने वाली एलिजाबेथ मरयम ने कहा, "कश्मीर के खराब हालात के कारण कोई भी कश्मीरी बड़ी मात्रा में नकदी अपने पास नहीं रखता."

नौकरी पेशे वालों को बैंक खातों के जरिये ही मासिक वेतन मिलता है और आमतौर पर वे दैनिक जरूरतों के अनुसार ही रुपये खातों से निकालते हैं.
एलिजाबेथ मरयम, प्रोफेसर, कश्मीर यूनिवर्सिटी

जितना खर्चा है उतना ही कमाते हैं

मरयम ने बताया कि "कुशल और अकुशल कामगार उतना ही कमा पाते हैं, जितना औसतन वे खर्च करते हैं. यहां हालात खराब होने के कारण बड़े कारोबारी घर में बड़ी मात्रा में नकदी नहीं रखते. यही कारण है कि नोटबंदी से कश्मीर पर कम प्रभाव पड़ा है."

स्थानीय जम्मू-कश्मीर बैंक के अधिकारी नजीर काजी ने बताया कि बैंक के सभी एटीएम में कैश भरा हुआ है.

पिछले आठ दिनों में न तो हमारी बैंक ब्रांच और न ही एटीएम बूथों पर भीड़ उमड़ी है. हां, लोग 500 और 1,000 रुपये के नोट बदलने और उन्हें अकाउंट में जमा कराने आ रहे हैं, लेकिन किसी को परेशानी नहीं हो रही है.
नजीर काजी

माहौल पहले जैसा ही है

स्थानीय कांट्रैक्टर जहूर अहमद (55) ने कहा, "रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि नोटबंदी से पथराव की घटनाएं खत्म हो गई हैं और घाटी में आतंकवाद कम हो गया है. इस तरह के बयान को कश्मीर में कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता."

हालांकि खुफिया अधिकारियों का मानना है कि जाली नोट घाटी में जारी आतंकवाद से गहरा जुड़ा है और नए नोटों को इससे जोड़ने में आतंकवादियों को वक्त लगेगा.

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