टाइम्स ऑफ इंडिया में 12 सितंबर को छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार 1981 से अपने मंत्रियों और राज्य मंत्रियों का इनकम टैक्स अदा करती रही है.
उत्तर प्रदेश के Ministers (Salaries, Allowances and Miscellaneous Provisions) Act 1981 के सेक्शन 3(3) में कहा गया है कि मंत्रियों, उप मंत्रियों और राज्य मंत्रियों की सैलरी पर लगने वाला इनकम टैक्स राज्य सरकार अदा करेगी.
द क्विंट ने इस मामले में और पड़ताल की और पाया कि कम से कम पांच अन्य ऐसे राज्य हैं, जहां उत्तर प्रदेश की तरह ही कानून है. वहां भी मंत्रियों की सैलरी पर लगने वाला इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरा जाता है.
उत्तराखंड
चूंकि उत्तराखंड उत्तर प्रदेश से ही अलग होकर बना है. लिहाजा, यहां भी यही नियम लागू था. साल 2010 में उत्तराखंड ने इस संबंध में यूपी के कानून को निरस्त कर अपना कानून लागू किया. इसके मुताबिक, भी मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और उप मंत्रियों की सैलरी पर लगने वाले इनकम टैक्स को सरकारी खजाने से अदा किया जाता है.
पंजाब
पूर्वी पंजाब (तत्कालीन) ने ईस्ट पंजाब मिनिस्टर्स सैलरीज एक्ट, 1947 बनाया था. उप मंत्रियों के वेतन के भुगतान के लिए 1956 में भी एक कानून बनाया गया. बाद में इसके दायरे में चीफ संसदीय सचिवों और संसदीय सचिवों को भी लाया गया.
यूपी में वीपी सिंह सरकार ने मंत्रियों की सैलरी से जुड़ा कानून लागू किया था. इसके पांच साल पहले 1976 में पंजाब के कानून में नए प्रावधान शामिल किए गए. जिनमें कहा गया कि मंत्रियों, उप मंत्रियों और संसदीय सचिवों के वेतन पर लगने वाला इनकम टैक्स सरकारी खजाने से अदा किया जाएगा.
हरियाणा
पंजाब से पहले ही हरियाणा ने 1970 में कानून लागू कर दिया था. मंत्रियों की सैलरीज से जुड़े 1970 के कानून के सेक्शन 6 के मुताबिक, मंत्रियों की सैलरी और अलाउंस पर लगने वाला इनकम टैक्स राज्य सरकार के खजाने से अदा किया जाएगा. यह छूट एमएलए के तौर पर उन्हें मिलने वाले भत्ते पर भी लागू होगी.
जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर ने 1956 में एक कानून लागू किया, जो मंत्रियों और राज्य मंत्रियों के वेतन और भत्ते से जुड़ा था. 1957 में उप मंत्रियों के लिए भी ऐसा ही कानून बनाया गया. इन दोनों कानून के सेक्शन 3 में कहा गया है कि मंत्रियों और उप मंत्रियों के वेतन और अलाउंस पर लगने वाला इनकम टैक्स राज्य सरकार अदा करेगी.
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून 2019 की पांचवीं अनुसूची में भी कहा गया है कि 31 अक्टूबर को केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद भी ये दोनों कानून लागू रहेंगे.
हिमाचल प्रदेश
हिमाचल में मंत्रियों के वेतन और भत्ते कानून साल 2000 में पास हुआ था. इस कानून के सेक्शन 12 के तहत-
“इस अधिनियम के तहत, मंत्री को मिलने वाले वेतन और भत्ते पर जो इनकम टैक्स बनेगा, उसका भुगतान राज्य सरकार करेगी.”
साल 2000 में बने एक्ट ने 1971 में पारित कानूनों को निरस्त कर दिया था, जिसमें मंत्रियों और उप मंत्रियों को वेतन और भत्ते पर टैक्स में छूट दी गई थी. लेकिन साल 2000 में आए कानून के बाद अब उप-मंत्रियों का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से वहन नहीं किया जाता है.
क्या ये राज्य भी अपने कानूनों में संशोधन करेंगे?
बीते 13 सितंबर को टाइम्स ऑफ इंडिया ने उत्तर प्रदेश के इस कानून पर रिपोर्ट छापी थी, जिसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कथित तौर पर इस अधिनियम के सेक्शन 3 (3) को निरस्त करने का फैसला किया. सरकार के इस फैसले के बाद अब सरकार के मंत्रियों के इनकम टैक्स का भुगतान सरकारी खजाने से नहीं किया जाएगा. योगी आदित्यनाथ सरकार अब इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश करेगी.
उत्तर प्रदेश की तरह ही इन पांच राज्यों के मंत्रियों को भी इनकम टैक्स में छूट देने का कोई औचित्य नहीं दिखता है. क्योंकि इन राज्यों के ज्यादातर विधायकों के पास अकूत संपत्ति है.
लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे अपने कानूनों के उन प्रावधानों को रद्द करने का फैसला करते हैं, जो सरकारी खजाने पर बोझ लादते हैं.
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