वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा, सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनने जा रही हैं. सरकार ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी है. उनके शपथ ग्रहण के बाद सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों की संख्या दो हो जाएगी. हालांकि न्यायिक व्यवस्था में, देश की आबादी में आधी हिस्सेदारी रखने वाली महिलाओं की भागीदारी बेहद कम है.
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जहां महिला जजों की संख्या 10-11 फीसदी के करीब ही है वहीं निचली अदालतों में भी ये एक तिहाई के आसपास है.
सुप्रीम कोर्ट में 10 फीसदी से भी कम
देश की सर्वोच्च अदालत में फिलहाल 24 जज काम कर रहे हैं. इनमें जस्टिस आर भानुमति एकमात्र महिला न्यायाधीश हैं. इंदू मल्होत्रा के शपथ ग्रहण के बाद भले ही कोर्ट में इनकी संख्या दो हो जाएगी. लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट के कुल जजों के मुकाबले महिला जजों की तुलना करें तो इनकी भागीदारी 10 फीसदी से भी कम होगी.
हाईकोर्ट में 11 फीसदी महिला जज
देश के 24 उच्च न्यायालयों में भी महिला जजों की भागीदारी अच्छी नहीं है. विधि और न्याय मंत्रालय के मुताबिक, देश में कुल 24 हाई कोर्ट में 1 अप्रैल 2018 तक 669 जज कार्यरत हैं. इन जजों में महिलाओं की संख्या महज 75 हैं. यानी यहां भी इनकी हिस्सेदारी 11 फीसदी के करीब ही है.
देश की सबसे पुरानी अदालतों में से एक इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुल 100 जज अभी काम रहे हैं. लेकिन इनमें महिलाओं की संख्या महज 6 हैं. वहीं 30 जजों वाले कलकत्ता हाईकोर्ट में 5 महिला जज हैं.
तेलंगाना एंड आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के 30 जजों में महिलाओं की संख्या 3 है. और 18 जजों वाले गुवाहाटी हाईकोर्ट में एक महिला जज है. इसके अलावा गुजरात हाईकोर्ट में 30 जजों में 3 महिलाएं, झारखंड में 17 में एक महिला जज, कर्नाटक में 30 जजों में 3 महिलाएं, केरल में 37 में 5, मध्य प्रदेश में 32 में 3, ओडिशा में 16 में एक, पटना में 32 में 2, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में 50 में 6, राजस्थान हाईकोर्ट में 33 में 2 और सिक्किम हाईकोर्ट में 3 जजों में एक महिला जज हैं.
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सबसे ज्यादा इन राज्यों में भागीदारी
देश के हाईकोर्ट में फिलहाल सबसे अच्छी स्थिति मद्रास हाईकोर्ट की है. यहां पर कुल 58 जजों में 11 महिला जज हैं. वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट में कार्यरत 70 जजों में महिला जजों की संख्या 11 हैं. इसके अलावा दिल्ली हाईकोर्ट की भी हालात काफी हद तक सही है. दिल्ली हाईकोर्ट में कुल 37 जजों में 9 महिला जज इन दिनों काम कर रही हैं.
यहां नहीं हैं एक भी महिला जज
- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
- हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
- जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट
- मणिपुर हाईकोर्ट
- मेघालय हाईकोर्ट
- त्रिपुरा हाईकोर्ट
- उत्तराखंड हाईकोर्ट
देश के 24 हाईकोर्ट में महज तीन हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस महिला हैं. उनमें भी बॉम्बे में जस्टिस वी के तहिलरमानी और दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस गीता मित्तल कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पद पर हैं. केवल मद्रास हाईकोर्ट में जस्टिस इंदिरा बनर्जी स्थायी चीफ जस्टिस के रूप में तैनात हैं.
निचली अदालतों में आधी आबादी की हालत
विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 17 में जिला अदालतों और निचली अदालतों में, एक-तिहाई से भी कम महिला जज हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च और जुलाई 2017 के बीच के आंकड़ों के अनुसार-
देशभर की निचली अदालतों में कुल 15 हजार 959 जज कार्यरत थे, जिनमें से महिला जजों की संख्या 4409 थी. यानी इनकी भागीदारी 27 फीसदी के करीब.
विश्लेषण किए गए सभी राज्यों में निचली अदालतों में, 11.5 फीसदी महिला जजों के साथ बिहार की न्यायपालिका में महिला जजों का अनुपात सबसे कम था. इसके बाद झारखंड (13.9 फीसदी), गुजरात (15.1 फीसदी) और जम्मू और कश्मीर (18.6 फीसदी) का स्थान रहा है.
निचली अदालतों में मेघालय में महिला जजों का अनुपात सबसे अधिक (73.8 फीसदी) में था. इसके बाद गोवा (65.9 फीसदी) और सिक्किम (64.7 फीसदी) का स्थान रहा है. वहीं अंडमान निकोबार और दादर व नागर हवेली में एक भी महिला जज नहीं थी.
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