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जयंती विशेष: जब इंदिरा गांधी ने बताया कि असली बॉस कौन है

विश्वयुद्ध में हिटलर के नरसंहार के खिलाफ मित्र देश युद्ध में आए थे.पूर्वी पाक में भी भारत इसी मकसद से उतरा: इंदिरा

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24 जनवरी 1966 को इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. आजाद भारत की वह तीसरी प्रधान थीं. उनकी जयंती पर हम आपको वो पांच किस्से बता रहे हैं, जब इंदिरा ने ये साबित किया कि क्यों उन्हें आयरन लेडी कहा जाता है. उन्होंने भारत के साथ-साथ दुनिया भर में खुद को एक चतुर नेता के तौर पर स्थापित किया.

बांग्लादेश की आजादी पर पश्चिमी मीडिया को जवाब

जब पश्चिमी मीडिया ने 1971 में भारत के बांग्लादेश में जारी मुक्तिवाहिनी और पाक सेना के युद्ध में उतरने पर सवाल उठाया तो इंदिरा गांधी ने उन्हें करारा जवाब दिया.

उन्होंने कहा कि दूसरे विश्वयुद्ध में हिटलर के नरसंहार के खिलाफ मित्र देश युद्ध में उतरे थे. इसी तरह पूर्वी पाकिस्तान में भी भारत नरसंहार के खिलाफ युद्ध छेड़ रहा है.

‘ऑपरेशन ब्लू स्टार सिखों के खिलाफ नहीं था’

1984 में दमदमी टकसाल के नेता जरनैल सिंह भिंडरांवाला को पकड़ने के लिए इंदिरा ने सेना को स्वर्ण मंदिर में घुसने का आदेश दे दिया. इस कदम से सिख इंदिरा से नाराज हो गए.

लेकिन, इंदिरा ने अपने इस कदम को सही ठहराया और कहा कि उनकी कार्रवाई सिखों के खिलाफ नहीं थी.

मुझे इमरजेंसी पर कोई खेद नहीं है: इंदिरा गांधी

25 जून 1975 को इंदिरा ने नेशनल इमरजेंसी घोषित कर दी. जिसके बाद लोगों के मूल अधिकारों में कटौती कर दी गई. साथ ही देश में सभी चुनावों पर रोक लगा दी गई.

इंदिरा ने कहा, विपक्ष द्वारा बनाई गई स्थितियों के कारण इमरजेंसी लगानी पड़ी थी. इंदिरा ने कहा कि उन्हें इसके लिए कोई खेद भी नहीं है.

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बिस्तर में या काम करते वक्त मेरी मौत हो जाए

इंदिरा स्वाभाव से बिंदास थीं उन्हें अपनी मौत का भी कोई डर नहीं था. यहां तक कि सिखों में उनके प्रति बढ़ती नाराजगी के बावजूद उन्होंने अपने सिख बॉडीगार्डस को नहीं हटाया.

मेरे खून की हर बूंद से एक नए भारत का निर्माण होगा

जिस दिन इंदिरा शहीद हुईं उसके एक दिन पहले इंदिरा ने कहा था वो आखिर तक अपने देश की सेवा करेंगी. एक भविष्यवाणी की तरह उन्होंने कहा,

मैं कल शायद जिंदा भी न रहूं, मैने अपनी पूरी जिंदगी जी ली है और जब मेरी मौत होगी, तब मेरे खून की हर बूंद से एक नए भारत का निर्माण होगा.

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