‘‘एक देश, एक चुनाव’’ के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंभीर हैं. और अब उन्होंने चर्चा के लिए सभी राजनीतिक दलों के लोकसभा और राज्यसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले अध्यक्षों की 19 जून को बैठक बुलाई है. संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने रविवार को ये जानकारी दी है.
कई और मुद्दों पर भी होगी बातचीत
जोशी ने कहा कि साल 2022 में भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने जा रहे हैं. इसके अलावा इस साल महात्मा गांधी का 150वां जयंती वर्ष मनाया जा रहा है. इस संबंध में आयोजनों के बारे में बातचीत के लिए और जिलों से जुड़े मुद्दों पर विचार के लिए भी प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक बुलाई है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 20 जून को सांसदों की भी बैठक बुलाई है.
एक देश, एक चुनाव पर होती आई है बहस
पूरे देश में हर पांच साल में एक ही बार में लोकसभा और तमाम विधानसभाओं के चुनाव करा लेने का विचार काफी समय से राजनीतिक हलके में है. ये विषय बौद्धिक बहसों में रहा है, लेकिन राजनीतिक दलों के स्तर पर यह कभी चर्चा में नहीं रहा. संसद में कभी इस पर चर्चा नहीं हुई और न ही इस बारे में किसी तरह के संवैधानिक और कानूनी बदलाव की अब तक कोई पहल हुई है. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अब इस बारे में राष्ट्रीय सहमति बनाने की बात की है.
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के पक्ष में मुख्य रूप से चार तर्क दिए जा सकते हैं.
- हर पांच साल में देश के सारे चुनाव एक साथ करा लेने से चुनाव खर्च की बचत होगी.
- बार-बार चुनाव होते रहने से देश लगातार चुनावी ढर्रे में रहता है और सरकारों के लिए विकास के काम करने में बाधा आती है.
- बार-बार चुनाव होते रहने से जाति और धर्म के विवाद लगातार गर्म रहते हैं क्योंकि राजनीतिक दल अपने फायदे में चुनावी गोलबंदी करने के लिए इन मुद्दों को उछालते रहते हैं.
- बार-बार चुनाव होने से करप्शन बढ़ता है.
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