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जंतर-मंतर से हटाए गए धरना दे रहे पूर्व सैनिकों के तंबू

OROP योजना लागू करने की मांग को लेकर पूर्व सैनिक जंतर-मंतर पर दो साल से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे थे.  

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर से सोमवार को कुछ प्रदर्शनकारियों के साथ-साथ 2015 से यहां प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिकों को भी हटा दिया गया. पुलिस ने ये जानकारी दी है. पूर्व सैनिकों ने आरोप लगाया है कि उनके साथ धक्का-मुक्की की गई और उनमें से कुछ जख्मी भी हो गए.

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने अपने 5 अक्टूबर के आदेश में कहा था कि जंतर मंतर से धरना-प्रदर्शन करने वालों को हटा दिया जाए. अब आगे से यहां पर प्रदर्शन पर बैन रहेगा.

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दिल्ली पुलिस ने कहा कि एनजीटी के आदेश के तहत प्रदर्शनकारियों के 32 ग्रुप के करीब 150 लोगों को वहां से हटा दिया गया है. पुलिस की दो कंपनियां जंतर-मंतर पर तैनात की गई हैं ताकि वहां फिर से प्रदर्शनकारी नहीं पहुंच सकें.

2015 से कर रहे थे प्रदर्शन

वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) की मांग को लेकर पूर्व सैनिकों का एक हिस्सा यहां 2015 से प्रदर्शन कर रहा था. हालांकि सरकार ने ओआरओपी को लागू किया है लेकिन इनका कहना है कि इसमें कई कमियां हैं.

पूर्व सैनिकों के संयुक्त मोर्चा के सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह ने कहा कि सैनिकों को जबरन हटाया गया और इस दौरान एक महिला समेत तीन लोगों को चोट लगी. साथ ही उन्हें शाम चार बजे तक पुलिस स्टेशन में रखा गया.

हमें सुबह 7.30 बजे के करीब वहां से हटा दिया गया. पुलिस नगर निगम अफसरों के साथ आई थी. उन्होंने हमारे साथ धक्का-मुक्की की और हमारा सामान ले लिया. हालांकि हम उनसे कह रहे थे कि अगर हमें नई जगह दिला दी जाए (प्रदर्शन के लिए) तो हम शाम तक यहां से चले जाएंगे.
सतबीर सिंह

उन्होंने केंद्र सरकार पर उनके विरोध की आवाज को दबाने का आरोप लगाया.

प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक जगह कहां है? रामलीला मैदान? वे एक दिन का पचास हजार रुपया मांग रहे हैं और वहां शौचालय तक नहीं है. हमसे वहां प्रदर्शन जारी रखने की उम्मीद कैसे की जा सकती है? अगर प्रधानमंत्री समझते हैं कि हमारी आवाज ऐसे दबाई जा सकती है, तो मैं राष्ट्र से अपील करूंगा कि सरकार से पूछें कि सरकार ऐसा क्यों कर रही है. ये लोकतंत्र की हत्या है.
सतबीर सिंह

एनजीटी ने पांच अक्टूबर के अपने आदेश में जंतर-मंतर पर किसी भी तरह के प्रदर्शन, सभा और लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. अधिकारियों से वहां के अस्थाई-स्थाई सभी ढांचों को हटाने को कहा गया था. एनजीटी ने कहा था कि अब आगे से सभी धरना-प्रदर्शन दिल्ली के अजमेरी गेट के पास रामलीला मैदान में होंगे.

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