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भोपाल गैस कांड: तत्कालीन डीएम और एसपी पर मामला दर्ज करने का आदेश

भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में 2-3 दिसंबर, 1984 की रात जहरीली गैस के रिसाव से हजारों लोगों को मौत हो गई थी.

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भोपाल में 32 साल पहले हुए गैस कांड में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी भास्कर यादव ने तत्कालीन डीएम मोती सिंह और तत्कालीन एसपी पुलिस अधिकारी स्वराज पुरी के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है.

तत्कालीन डीएम और एसपी पर आरोप है कि इन दोनों ने गैस हादसे के मुख्य आरोपी यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन वॉरेन एंडरसन को भोपाल से कथित रूप से भगाने में सहायता की थी.

हाजरों लोगों की हुई थी मौत

भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में 2-3 दिसंबर, 1984 की रात जहरीली गैस के रिसाव से हजारों लोगों को मौत हो गई थी.

हादसे के बाद एंडरसन भोपाल आए, लेकिन आरोप लगा कि उन्हें 7 दिसंबर 1984 को डीएम की मदद से सरकारी विमान से भगा दिया गया. इसके बाद उन्हें अमेरिका से जीते जी कभी भोपाल नहीं लाया जा सका.

गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने अधिवक्ता शहनवाज खान के जरिए 15 सितंबर, 2010 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में मामला दर्ज किया था.

अब्दुल जब्बार ने रविवार को बताया,

सीजेएम ने अपने आदेश में कहा है कि एंडरसन को जिन धाराओं के तहत हनुमानगंज थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया था, उसमें केवल न्यायालय से ही जमानत मिल सकती थी. लेकिन, मोती सिंह और स्वराज पुरी ने उन्हें सजा से बचाने की योजना बनाई और भगाने में मदद की, जिसके बाद उन्हें पकड़ा नहीं गया.

जब्बार की ओर से अधिवक्ता शहनवाज खान ने पैरवी की. आदेश में दोनों तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने और समन जारी करने को कहा गया है. मामले की अगली सुनवाई अब 8 दिसंबर, 2016 को होगी.

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