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सावधानः हिस्ट्रीशीटर्स से ज्यादा लूट-झपटमारी में ‘नौसिखिए’ सक्रिय

साल 2019 में बढ़ीं स्नैचिंग की घटनाएं

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राजधानी दिल्ली में झपटमारी और लूट की घटनाओं में ‘नौसिखिए’ पुलिस के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं. दिल्ली पुलिस के कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने बताया कि लूट और झपटमारी (स्नैचिंग) की 90 फीसदी घटनाओं में वो अपराधी शामिल होते हैं, जो पहली बार अपराध कर रहे होते हैं.

दिल्ली पुलिस की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में दर्ज किए गए लूट के मामलों में 11.73 फीसदी आरोपी ऐसे थे, जिनका क्रिमिनल हिस्ट्री थी. साल 2018 में ये आंकड़ा 6.80 फीसदी तक आया और इस साल ये 5.52 फीसदी पर आ गया.

ठीक इसी तरह साल 2017 में हुए झपटमारी के मामलों में 9.48 फीसदी आरोपी ऐसे थे, जिनकी क्रिमिनल हिस्ट्री थी. साल 2018 में ये आंकड़ा 5.26 पर पहुंचा और इस साल ये 3.51 पर आ गया.

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इस साल बढ़ीं स्नैचिंग की घटनाएं

दिल्ली पुलिस के कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने कहा कि दिल्ली पुलिस का ध्यान लूट और झपटमारी समेत सड़कों पर होने वाले उन अपराधों पर अंकुश लगाने पर है, जिनमें कई बार हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है.

उन्होंने कहा कि साल 2016 से 2018 तक ऐसी घटनाओं में लगातार गिरावट आई है. साल 2016 में स्नैचिंग के 9,571 मामले सामने आए थे.

साल 2017 में यह संख्या 8,231 और 2018 में 6,932 तक गिर गई. हालांकि, इस साल 31 मई तक 2,812 स्नैचिंग के मामले दर्ज किए गए हैं. इसी अवधि के दौरान पिछले साल 2,691 मामले दर्ज किए गए थे. पटनायक ने कहा-

चिंता की बात ये है कि सड़कों पर होने वाली लूट और स्नैचिंग के मामलों में आरोपी वो हैं, जिनकी कोई क्रिमिनल हिस्ट्री नहीं है. यानी कि वो पहली बार अपराध कर रहे हैं. इसलिए लूट और स्नैचिंग की घटनाओं में क्रिमिनल हिस्ट्री वाले लोगों की संलिप्तता धीरे-धीरे कम हो रही है. नए लोग क्राइम कर रहे हैं, इससे समस्याएं पैदा हो रही हैं. जरूरी नहीं है, कि ये सभी नाबालिग हैं, लेकिन ऐसे ज्यादातर अपराधी पहली बार अपराध करने वाले हैं.

सुधार के लिए दिल्ली पुलिस का प्लान

पटनायक ने बताया कि साल 2017 में, दिल्ली पुलिस ने युवा नाम से एक स्कीम शुरू की थी, जिसके तहत अपराध में शामिल होने वाले युवाओं की पहचान की जाती है और उन्हें स्किल ट्रेनिंग दिलाकर नौकरी दी जाती है ताकि वे क्रिमिनल गतिविधियों में न पड़ें.

उन्होंने कहा कि हमने क्रिमिनल हिस्ट्री रखने वालों को दोबारा क्राइम करने से रोकने में काफी हद तक सफलता पाई है. ये आपराधिक मामलों की संख्या में गिरावट से स्पष्ट है.

“पहली बार अपराध करने वाले पुलिस की जांच के दायरे में आते हैं, फिर हम उनकी जेल से रिहाई के बाद निगरानी शुरू करते हैं. जब वह बाहर आते हैं तो हमारे बीट अधिकारी उनकी निगरानी करते हैं कि वह क्या करता है? क्या वह फिर से बुरी आदतों में शामिल हो रहा है या फिर, अपने जीवन को बेहतर करने के लिए कुछ और करने की कोशिश कर रहा है.”
अमूल्य पटनायक, दिल्ली पुलिस कमिश्नर

उन्होंने कहा, "यह एक बात है कि हम पहली बार अपराध करने वालों को लेकर चिंतित हैं. जहां तक सड़कों पर होने वाले अपराधों का सवाल है, हम सड़कों की निगरानी बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं. सड़कों पर मोटरसाइकिल से पेट्रोलिंग बढ़ाई गई है. इसके अलावा एसएचओ, बीट ऑफिसर के साथ-साथ सीनियर अफसर भी पुलिस टीम को लेकर पेट्रोलिंग बढ़ा रहे हैं.’
पटनायक ने कहा कि संवेदनशील जगहों को चिह्नित कर इफेक्टिव पुलिसिंग पर भी काम किया जा रहा है.

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