भारत में कोविड और ऑक्सीजन संकट के बीच, उत्पादन यूनिट सरकार के मिसमैनेजमेंट का शिकार हो रही हैं. केंद्र सरकार के नॉन मेडिकल इंडस्ट्री के ऑक्सीजन की खपत पर रोक के कारण, गुजरात के गांधीधाम में देश में ऑक्सीजन सिलेंडर मैन्युफैक्चरिंग के सबसे बड़े प्लांट में काम रुक गया है. इन यूनिट्स को सरकार के 25 अप्रैल को लगाए बैन में शामिल किया गया था.
द इंडियन एक्सप्रेस के की रिपोर्ट के मुताबिक, 27 अप्रैल को गृह मंत्रालय ने सफाई जारी कर कहा कि ऑक्सीजन सिलेंडर निर्माताओं को लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई होनी चाहिए, बावजूद इसके अभी तक बैन नहीं हटाया गया है.
ऑल इंडिया इंडस्ट्रियल गैसेस मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (AIIGMA) के प्रतिनिधियों ने कहा कि गांधीधाम के स्पेशल इकनॉमिक जोन (SEZ) में मौजूद ये यूनिट्स देश के ऑक्सीजन सिलेंडर प्रोडक्शन का करीब दो-तिहाई हैं और इसपर रोक लगाने से सिलेंडर की कमी और बढ़ेगी.
AIIGMA के अध्यक्ष साकेत टिकू ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “कोविड संकट की दूसरी लहर के दौरान, गुजरात में ऑक्सीजन की डिमांड एक दिन में 1200-1500 मीट्रिक टन तक बढ़ गई है. और इसके तुलना में राज्य में सिलेंडर प्लांट्स काफी कम हैं. ये केवल 11 MT प्रतिदिन है. इस परेशानी को सरकार में हाई लेवल तक बताया गया है, लेकिन प्लांट्स अभी तक बंद हैं.”
प्लांट के बंद रहने से, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और अस्पतालों के ऑर्डर पिछले 10 दिनों से लटके पड़े हैं.
SEZ के सबसे बड़े सिलेंडर निर्माता, एवरेस्ट कांटो सिलेंडर लिमिटेड के मार्केटिंग मैनेजर, सारंग गांधी ने कहा कि उनकी कंपनी की प्रोडक्शन कैपेसिटी 35,000 सिलेंडर प्रतिमाह है, लेकिन वो अब ऑर्डर कैंसल करने को मजबूर हैं.
उन्होंने कहा,
“ओडिशा, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, दिल्ली और मध्य प्रदेश जैसे राज्य सिलेंडर के लिए हम पर निर्भर हैं, लेकिन हमारे प्लांट बंद हैं. सरकार अब हमारे दाम से तीन से चार गुना ज्यादा कीमत पर ऑक्सीजन सिलेंडर इंपोर्ट कर रही है.”
रामा सिलेंडर प्राइवेट लिमिटेड ने बताया कि उनकी उत्पादन की क्षमता 50 हजार सिलेंडर तक की है, लेकिन इस तकनीकी देरी से काम रुक गया है. यूनिट के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, अमित रामसिंघानी ने कहा, “हमें दो सिलेंडर प्लांट चलाने के लिए रोजाना 3 MT ऑक्सीजन की जरूरत है. हमें कई कॉल्स आ रही हैं, लेकिन प्लांट बंद पड़ा है.”
रिपोर्ट के मुताबिक, ऑक्सीजन सिलेंडर निर्माताओं को लेकर गृह मंत्रालय की सफाई के बाद भी, FDA समेत प्रशासन ने अभी तक बैन नहीं हटाया है.
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