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संसद का मॉनसून सत्र 18 जुलाई से, महंगाई-अग्निपथ योजना पर सरकार को घेरेगा विपक्ष

पिछले साल मॉनसून सत्र एक तूफानी नोट पर खत्म हुआ था जब विपक्षी दलों ने पेगासस जासूसी कांड पर सरकार को घेरा था.

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साल 2022 के लिए संसद (Parliament) का मॉनसून सत्र (Monsoon Session) 18 जुलाई से शुरू होने जा रहा है और 12 अगस्त तक चलेगा. लोकसभा सचिवालय (Lok Sabha Secretariat) के बयान के मुताबिक, 17वीं लोकसभा (17th Loksabha) का ये नौवां सत्र होगा. इस बार भी मॉनसून सत्र में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच कई मुद्दों पर भारी टकराव देखने को मिल सकता है

बता दें कि पिछले साल का मॉनसून सत्र एक तूफानी नोट पर खत्म हुआ था जब विपक्षी दलों ने पेगासस जासूसी कांड, किसान आंदोलन और महंगाई (खास तौर पर पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत) पर चर्चा के लिए दोनों सदनों में सरकार को घेरा था.

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इस साल मॉनसून सत्र में 18 जुलाई से 12 अगस्त के बीच कुल 17 कार्यदिवस पड़ रहे हैं.

सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति चुनाव

संसद का यह मॉनसून सत्र इसलिए भी खास है क्योंकि 18 जुलाई को ही राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान है. सत्ता पक्ष एनडीए की तरफ से आदिवासी समाज से आने वाली द्रौपदी मुर्मू उम्मीदवार हैं, वहीं विपक्ष की ओर से पूर्व बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा चुनाव लड़ रहे हैं.

सरकार लाने वाली है ये बिल

इस सत्र में सरकार कई विधेयकों को सदन में पेश कर सकती है. इनमें संसदीय समिति के सामने विचार के लिए भेजे गए 4 विधेयक शामिल हैं. वहीं इसके अलावा सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण से जड़ी एक बिल ला सकती है सरकार. इसके अलावा मॉनसून सेशन में बिजली संशोधन विधेयक भी आने की उम्मीद है. सरकार की योजना संसद के मॉनसून सत्र में एंटरप्राइज एंड सर्विस हब (DESH) के विकास विधेयक को पेश करने की है, जो विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) कानून में बदलाव करेगा.

संसद में अभी भारतीय अंटार्कटिक बिल, बाल विवाह रोकथाम संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय डोपिंग रोधी विधेयक और जैव विविधता संशोधन विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विधेयक लंबित हैं.

सरकारी बैंक के प्राइवेटाइजेशन पर नजर

संसद के इस मॉनसून सत्र में सरकार सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण के लिए एक बिल लाने की तैयारी में है. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक इस बिल के पारित होने के बाद सरकारी बैंकों में अपनी पूरी हिस्सेदारी खत्म करने का रास्ता सरकार के पास खुल जायेगा. इसी को देखते हुए सरकार बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक ला सकती है. बैंकिंग कंपनीज ऐक्ट, 1970 के मुताबिक पब्लिक सेक्टर बैंकों में सरकार की 51 फीसदी की हिस्सेदारी जरूरी है. सरकार ने इससे पहले प्रस्ताव रखा था कि उसकी हिस्सेदारी 51 की बजाय 26 ही रहेगी और वह भी धीरे-धीरे कम होती जाएगी.

बता दें कि पिछले साल बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि सरकार दो पब्लिक सेक्टर के बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का प्राइवेटाइजेशन करेगी. साथ ही यह भी कहा था कि इसके लिए कानून में संशोधन किया जाएगा.

बिजली (संशोधन) विधेयक, 2021

इस मॉनसून सेशन में बिजली (संशोधन) विधेयक, 2021 को पेश किये जाने की संभावना है. इस विधेयक के जरिए ग्राहकों को टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर की तरह अलग-अलग इलेक्ट्रिसिटी सर्विस प्रोवाइडर में से चुनने का ऑप्शन का प्रावधान रहेगा.

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इन मुद्दों पर हंगामे के आसार

संसद के मॉनसून सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं. विपक्ष कई मुद्दो पर सरकार को घेरने की तैयारी में है. जांच एजेंसियों के कथित दुरूपयोग जैसे मुद्देखासतौर पर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से पूछताछ का मुद्दा हो या अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme), इसके अलावा नूपुर शर्मा का पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ आपत्तिजनक बयान, महंगाई (Inflation), बेरोजगारी (Unemployment), जैसे मुद्दों को लेकर विपक्षी पार्टियां सरकार को घेर सकती है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि विपक्षी पार्टी संसद के आगामी सत्र के दौरान माल एवं सेवा कर (जीएसटी) पर चर्चा कराने की मांग करेगी.

साल 2021 का मॉनसून सत्र - 133 करोड़ का नुकसान

संसद का पिछला मॉनसून सत्र काफी हंगामे और विवाद से भरा रहा था. विपक्षी दल पेगासस जासूसी कांड के मद्दे पर बहस चाहती थी, जिसे लेकर काफी हंगामा हुआ. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि इस वजह से 133 करोड़ रुपये से ज्यादा टैक्सपेयर के पैसों का नुकसान हुआ है. पिछले मॉनसून सत्र में कुल मिलाकर 22 विधेयक पारित किए गए थे.

2021 में मॉनसून सत्र पिछले दो दशकों का तीसरा सबसे कम प्रोडक्टिव लोकसभा सत्र था, जिसमें केवल 21 प्रतिशत की प्रोडक्टिविटी थी. राज्यसभा ने 28 प्रतिशत की प्रोडक्टिविटी दर्ज की थी.

वहीं मॉनसून सत्र के दौरान हिंसक व्यवहार के लिए 12 विपक्षी सांसदों (Opposition MPs) को संसद के पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था. इस लिस्ट में शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री सीपीएम के एलाराम करीम और कांग्रेस के छह नेता शामिल थे.

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