ADVERTISEMENTREMOVE AD

पतंजलि विवाद: ऐड में गलत दावा करना अपराध है? कंपनी को किस कानून के तहत फटकार पड़ी?

Patanjali Row: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

पतंजलि (Patanjali) आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (2 अप्रैल) को कंपनी को कड़ी फटकार लगाई. अदालत ने कहा कि वो पतंजलि के जवाब से संतुष्ट नहीं है. सुनवाई के दौरान कोर्ट में रामदेव और आचार्य बालकृष्ण भी मौजूद थे. रामदेव ने भ्रामक विज्ञापन को लेकर कोर्ट से माफी भी मांगी लेकिन अदालन इसे मानने को तैयार नहीं हुआ.

ऐसे में आइये जानते हैं कि रामदेव विज्ञापन विवाद क्या है? क्या विज्ञापन में गलत दावा करना कानूनी अपराध है? किस कानून के तहत दोनों को सुप्रीम कोर्ट से फटकार पड़ी? क्या है ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

रामदेव विज्ञापन विवाद क्या है?

फिट हिंदी में छपी 19 मार्च की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें दो शिकायतें की गई,

"पहला कंपनी ने निराधार दावा किया है कि उसके प्रोडक्ट कोविड-19 सहित कुछ बीमारियों और रोग को पूरी तरह और स्थायी रूप से ठीक कर सकते हैं".

IMA ने कहा था कि पतंजलि के दावे साबित नहीं हुए हैं और ये ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 (DOMA) और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का साफ-साफ उल्लंघन है.

"दूसरा, आधुनिक चिकित्सा और कोविड-19 टीकाकरण अभियान के खिलाफ कंपनी ने 'अपमानजनक अभियान' चलाया है".

क्या विज्ञापन में गलत दावा करना कानूनी अपराध है?

इसका जवाब है 'हां', दरअसल, जब कोई उत्पादक अथवा विज्ञापनकर्ता किसी उत्पाद के बारे में कोई दावा करता है तो उसको उसे साबित भी करना होता है. यदि वह ऐसा नहीं कर पाता है तो इसे भ्रामक विज्ञापन माना जाता है और उसके खिलाफ देश में मौजूदा कानूनों के तहत कार्रवाई की जा सकती है.

किस कानून के तहत दोनों को सुप्रीम कोर्ट से फटकार पड़ी?

सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को "ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 (DOMA) और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019" के उल्लघंन को लेकर फटकार लगाई है. इसी का हवाला इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा याचिका में भी दिया गया था.

ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 (DOMA) क्या है?

ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 [DOMA] ऐसे इलाज और दवाओं के प्रचार और उनके मार्केटिंग पर रोक लगाता है जो जादुई क्वॉलिटी होने का दावा करता है, साथ ही किसी बीमारी और रोग, जैसे- डायबिटीज, हृदय रोग, ब्लड प्रेसर, मोटापा और अस्थमा को बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण के पूरी तरह से ठीक करने का दावा करता है. ये कानून ऐसे दावों को संज्ञेय अपराध की श्रैणी में मानता है.

इस कानून का उल्लंघन करने पर एक साल तक की कैद और/या जुर्माना हो सकता है.

कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 क्या है?

इस कानून के तहत यदि कोई निर्माता या सेवा प्रदाता झूठा या भ्रामक प्रचार करता है जो उपभोक्ता के हित के खिलाफ है तो उसे 2 साल की सजा और उस पर 10 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है. अगर निर्माता या सेवा प्रदाता ऐसा अपराध दोबारा करता है तो जुर्माना बढ़कर 50 लाख रुपये और कारावास की अवधि पांच साल तक हो सकती है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×