देशभर में कंज्यूमर्स पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों की वजह से परेशान हैं. कई राज्यों में तो पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर तक बिक रहा है. तेल के दाम रिकॉर्ड स्तरों पर पहुंचने के बाद केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी घटाने को लेकर दबाव में है. लेकिन दूसरी तरफ चार राज्यों ने आगे बढ़ते हुए टैक्स घटाने का साहस किया है और कंज्यूमर्स को राहत दी है. इनमें से कुछ राज्यों में आने वाले दिनों में चुनाव भी हैं और चुनाव के पहले ये राज्य अपने नागरिकों को नाराज नहीं करना चाहते हैं.
राज्यों के इस कदम से साफ होता है कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों की बड़ी वजह सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स हैं. पिछले साल फरवरी महीने से तुलना करके देखें तो क्रूड की कीमतें जितनी बढ़ी हैं उसकी तुलना में टैक्स और ज्यादा बढ़ा है.
इन राज्यों ने पेट्रोल-डीजल पर घटाया टैक्स-
पश्चिम बंगाल राज्य में चुनाव आने वाले हैं और राज्य सरकार ने फैसला किया है कि वो पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले VAT में एक रुपये प्रति लीटर की कटौती करेंगे.
राजस्थान सबसे पहला राज्य था जिसने 29 जनवरी को वैट 38% से घटाकर 36% किया था.
असम में भी कुछ ही हफ्तों में चुनाव होने वाले हैं. 12 फरवरी को असम की राज्य सरकार ने भी पिछले साल कोरोना संकट के दौरान लगाए जाने वाले 5 रुपये एडिश्नल टैक्स को हटा लिया.
मेघालय राज्य ने सबसे बड़ी राहत देते हुए पेट्रोल पर 7.40 और डीजल पर 7.10 रुपये घटाने का फैसला किया. इसमें पहले 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई, इसके बाद पेट्रोल पर वैट भी 31.62% से घटाकर 20% और डीजल पर 22.95% से घटाकर 12% कर दिया गया.
एक्साइज ड्यूटी में कटौती से केंद्र का इनकार
फिलहाल केंद्र ने एक्साइड ड्यूटी में किसी भी तरह की कटौती करने से मना कर दिया है. मार्च से लेकर मई 2020 के बीच केंद्र ने पेट्रोल पर एक्साइड ड्यूटी 13 रुपये बढ़ाई थी और डीजल पर 16 रुपये बढ़ाई थी.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने फरवरी 2020 महीने की तुलना फरवरी 2021 से की है और पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर टैक्स के असर का विश्लेषण किया है.
पिछले साल से तुलना
अब पेट्रोल 89.21 रुपये और डीजल 79.70 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है, ये तब है जब क्रूड का भाव 63 डॉलर प्रति बैरल है. वहीं ठीक एक साल पहले पेट्रोल का दाम 71.89 और डीजल का दाम 64.65 रुपये प्रति लीटर था तब क्रूड 54.63 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर था.
साफ है कि पेट्रोल पंप पर कीमतों में 24% की बढ़ोतरी हुई, लेकिन दूसरी तरफ डीलर्स को मिलने वाले कमीशन में हल्की सी ही बढ़ोतरी हुई है और क्रूड की कीमतों भी 15 परसेंट ही बढ़ी हैं. इससे साबित होता है कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के पीछे सरकार द्वारा लगाया जाने वाला टैक्स ही ज्यादा जिम्मेदार है.
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