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मेरी कमी रही कि मैं तमिल नहीं सीख पाया: ‘मन की बात’ में PM मोदी

तमिलनाडु के आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले PM मोदी का बयान

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भारत
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 फरवरी को अपने रेडियो प्रोग्राम ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने जल संरक्षण, आत्मनिर्भर भारत और साइंस की अहमियत समेत कई मुद्दों पर बात की.

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'तमिल नहीं सीख पाया, ये मेरी कमी'

पीएम मोदी ने कहा, ''कभी-कभी बहुत छोटा और साधारण सा सवाल भी मन को झकझोर जाता है. ये सवाल लंबे नहीं होते हैं, बहुत सिंपल होते हैं, फिर भी वे हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं. कुछ दिन पहले हैदराबाद की अपर्णा रेड्डी जी ने मुझसे ऐसा ही एक सवाल पूछा. उन्होंने कहा कि आप इतने साल से पीएम हैं, इतने साल सीएम रहे, क्या आपको कभी लगता है कि कुछ कमी रह गई. अपर्णा जी का सवाल बहुत सहज है लेकिन उतना ही मुश्किल भी.''

प्रधानमंत्री ने इसके आगे कहा, ‘’मैंने इस सवाल पर विचार किया और खुद से कहा कि मेरी एक कमी ये रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा – तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया. यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनियाभर में लोकप्रिय है.’’

हालांकि, पीएम मोदी की इस बात के राजनीतिक मायने भी निकाले जा सकते हैं क्योंकि उन्होंने यह बात तमिलनाडु के आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कही है.

PM मोदी ने जल संरक्षण पर दिया जोर

पीएम मोदी ने कहा,

  • ''इस बार हरिद्वार में कुंभ हो रहा है. जल हमारे लिए जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है.''
  • ''पानी एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है. कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है. वैसे ही पानी का स्पर्श जीवन के लिए जरूरी है.''
  • ''भारत के ज्यादातर हिस्सों में मई-जून में बारिश शुरू होती है. क्या हम अभी से अपने आसपास के जल स्रोतों की सफाई के लिए, वर्षा जल के संचयन के लिए 100 दिन का कोई अभियान शुरू कर सकते हैं?''
  • ''इसी सोच के साथ अब से कुछ दिन बाद जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी जल शक्ति अभियान - कैच द रेन - भी शुरू किया जा रहा है.''
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प्रधानमंत्री ने रविदास का भी किया जिक्र

पीएम मोदी ने कहा,

  • ''मेरे प्यारे देशवासियो, जब भी माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्त्व की चर्चा होती है तो ये चर्चा एक नाम के बिना पूरी नहीं होती. ये नाम है संत रविदास जी का. माघ पूर्णिमा के दिन ही संत रविदास जी की जयंती भी होती है.''
  • ''रविदास जी कहते थे- करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस। कर्म मानुष का धम्र है, सत् भाखै रविदास।। अर्थात हमें निरंतर अपना कर्म करते रहना चाहिए, फिर फल तो मिलेगा ही मिलेगा, कर्म से सिद्धि तो होती ही होती है.''
  • ''हम अपने सपनों के लिए किसी दूसरे पर निर्भर रहें, ये बिल्कुल ठीक नहीं है. जो जैसा है वो वैसा चलता रहे, रविदास जी कभी भी इसके पक्ष में नहीं थे. आज हम देखते हैं कि देश का युवा भी इस सोच के पक्ष में बिलकुल नहीं है.''
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आत्मनिर्भर भारत अभियान में साइंस की शक्ति का बहुत योगदान: PM

पीएम मोदी ने कहा, ''आज नेशनल साइंस डे भी है. आज का दिन भारत के महान वैज्ञानिक, डॉक्टर सीवी रमन जी द्वारा की गई ‘रमन इफेक्ट’ खोज को समर्पित है.''

इसके अलावा उन्होंने कहा, ''जब हम साइंस की बात करते हैं तो कई बार इसे लोग फिजिक्स-केमिस्ट्री या फिर लैब्स तक ही सीमित कर देते हैं, लेकिन साइंस का विस्तार इससे कहीं ज्यादा है और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में साइंस की शक्ति का बहुत योगदान है.''

प्रधानमंत्री ने कहा, ''जब आसमान में हम अपने देश में बने फाइटर प्लेन तेजस को कलाबाजिंयां खाते देखते हैं, जब भारत में बने टैंक, मिसाइलें हमारा गौरव बढ़ाते हैं, जब समृद्ध देशों में हम मेट्रो ट्रेन के मेड इन इंडिया कोच देखते हैं, जब हम दर्जनों देशों तक मेड इन इंडिया वैक्सीन को पहुंचते हुए देखते हैं तो हमारा माथा और ऊंचा हो जाता है.''

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