प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान से कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला.पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, टकांग्रेस के नामदार परिवार ने INS विराट का अपनी टैक्सी की तरह इस्तेमाल किया था.’ उन्होंने कांग्रेस पर एक जमाने में देश की रक्षा करने वाली सेना को अपनी जागीर समझने का आरोप लगाया.
इतना ही नहीं रामलीला मैदान रैली में आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल भी पीएम मोदी के निशाने पर रहे. मोदी ने कहा कि आजादी के बाद से देश में चार राजनीतिक कल्चर देखे गए. लेकिन दिल्ली इकलौता ऐसा राज्य है, जिसने पांचवा कल्चर भी देख लिया. पीएम मोदी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर परोक्ष रूप से हमला बोलते हुए उन्हें नाकामपंथी करार दिया.
रैली में आए लोगों की क्या है राय
पीएम मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें
- आजादी के बाद हमारे देश में चार राजनीतिक कल्चर देखे गए. पहला नामपंथी, जिनके लिए वंश और विरासत का नाम ही उनका विजन है. दूसरा वामपंथी, जिनके लिए विदेशी विचार, विदेशी व्यवहार, ही उनकी रोजीरोटी और विजन है. तीसरा दाम और दमनपंथी, जिनके लिए गुंडातंत्र, गनतंत्र, ही उनके गणतंत्र की परिभाषा है. और चौथा है विकासपंथी, जिनके लिए सबका साथ, सबका विकास ही सर्वोपरि है.
- लेकिन दिल्ली देश का वो इकलौता राज्य है, जिसने पॉलिटिकल कल्चर का एक पांचवा मॉडल भी देखा. ये पांचवा मॉडल है नाकामपंथी, यानी जो दिल्ली के विकास से जुड़े हर काम को ना कहते हैं और जो काम करने की कोशिश भी करते हैं, उसमें नाकाम रहते हैं. इस नाकामपंथी मॉडल ने दिल्ली में ना सिर्फ अराजकता फैलाई, बल्कि इस देश के लोगों के साथ विश्वासघात किया है.
- इन नाकामपंथियों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़े आंदोलन को नाकाम करने का पाप किया है. आम आदमी की छवि को इन नाकामपंथियों ने बदनाम करके रख दिया. करोड़ों युवाओं के विश्वास और भरोसे को इन नाकामपंथियों ने चकनाचूर कर दिया. इतना ही नहीं इन्होंने देश में नई राजनीति के प्रयासों को भी नाकाम किया है. ये लोग देश बदलने आए थे, लेकिन खुद ही बदल गए. ये लोग नई व्यवस्था देने आए थे, लेकिन खुद ही अव्यवस्था और अराजकता का दूसरा नाम बन गए. इन लोगों ने पहले हर किसी को अनाप-शनाप कहा और फिर घुटनों के बल चलकर माफी मांग ली.
- कांग्रेस के नामदार परिवार की चौथी पीड़ी आज देश देख रहा है. लेकिन ये वंशवादी प्रवृत्ति सिर्फ एक परिवार तक ही सीमित नहीं रही है. जो इस परिवार के करीबी रहे उन्होंने भी वंशवाद का झंडा बुलंद रखा. दिल्ली में दीक्षित वंश, हरियाणा में हुड्डा वंश, भजनलाल जी और वंशीलाल जी तक सिर्फ वंशवाद की सियासत चल रही है. पंजाब में बेअंत सिंह परिवार, राजस्थान में गहलोत परिवार और पायलट परिवार, मध्य प्रदेश में सिंधिया परिवार और कमलनाथ परिवार और दिग्विजय परिवार वंशवाद का नारा बुलंद कर रहे हैं.
- वंशवाद की ये विकृति कांग्रेस के साथ दूसरे महामिलावटी दलों में भी फैली हुई है. जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला वंश और मुफ्ती वंश चल रहा है. यूपी में मुलायम परिवार, बिहार में लालू परिवार के नाम पर पार्टियां चल रही हैं. महाराष्ट्र में पवार वंश, तो कर्नाटक में देवगौड़ा परिवार फलफूल रहा है. तमिलनाडु में करुणानिधि का वंश, आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू भी उसी वंशवाद का झंडा उठाए हुए हैं.
- मैं जब इनके वंशवाद पर सवाल खड़े करता हूं तो इन्हें दिक्कत होने लगती है. इन्हें अपने पूर्वजों के नाम पर वोट तो चाहिए, लेकिन जब उन्हीं पूर्वजों के कारनामे खंगाले जाते हैं तो इन्हें मिर्ची लग जाती है.
- अगर आप किसी के नाम पर वोट मांग रहे हैं, तो उनके कारनामों का हिसाब भी देना ही होगा. कांग्रेस आजकर अचानक न्याय की बात करने लगी है, कांग्रेस को बताना पड़ेगा कि 1984 में सिख दंगों में हुए अन्याय का हिसाब कौन देगा? कांग्रेस को बताना पड़ेगा कि सिखों के खिलाफ जो दंगे हुए उससे जुड़ा होने का आरोप है, उनको मुख्यमंत्री बनाना कौन सा न्याय है.
- क्या आपने कभी सुना है कि कोई अपने परिवार के साथ युद्धपोत से छुट्टियां मनाने जाए. इस सवाल पर हैरान मत होइए, ये हमारे ही देश में हुआ है. कांग्रेस के सबसे बड़े नामदार परिवार ने देश की आन-बान-शान आईएनएस विराट समुद्री जहाज का टैक्सी की तरह निजी इस्तेमाल किया था. ये बात तब की है, जब राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे और दस दिन के लिए छुट्टियां मनाने निकले थे. INS विराट उस समय समुद्री सीमाओं की रखवाली के लिए तैनात था. इस जहाज को राजीव गांधी और उनके परिवार को छुट्टियां मनाने के लिए एक आईलैंड पर भेजा गया था. इतना ही नहीं, उनके ससुराल के लोग भी आईएनएस विराट पर मौजूद थे, क्या ये राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं था?
- नामदार परिवार की इस छुट्टी का किस्सा इतने पर खत्म नहीं होता, जिस आईलैंड पर गांधी परिवार छुट्टी मनाने गया था, वहां रख-रखाव का काम भी नौसेना ने ही किया था. जब एक परिवार ही सर्वोच्च हो जाता है तो देश की सुरक्षा दांव पर लग जाती है.'
- जहां कभी दलालों का आना जाना रहता था, वहां आजकल वकीलों का आना जाना रहता है.
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