प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रथम प्रवासी सांसद सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि 21वीं सदी भारत की है. लेकिन हमारी नजर किसी की जमीन पर नहीं है. पीएम ने कहा कि भारत की विकास यात्रा में प्रवासी भारतीयों का काफी योगदान है. निवेश के जरिए आपलोग देश की सेवा करते हैं. पिछले तीन साल में सबसे अधिक निवेश हुआ है. न्यू इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए आपके साथ आगे बढ़ना चाहते हैं.
विश्व का नजरिया बदला है
प्रवासी सांसदों को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि आपने अनुभव किया होगा कि भारत के प्रति पूरे विश्व का नजरिया बदल गया है. लोगों की उम्मीद बढ़ी है और भारत में कारोबारी माहौल सुधरा है. आज के समय में विश्व बैंक और मूडीज जैसी संस्थाएं भारत की और देख रही है.
पीएम ने कहा कि गांधी जी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं. अहिंसा और सत्याग्रह से कोई भी मुद्दा सुलझाया जा सकता है.
कुंभ में प्रवासियों को किया स्वागत
मोदी ने 2019 में इलाहाबाद में होने वाले कुंभ मेले का जिक्र करते हुए प्रवासी भारतीयों से इसमें शामिल होने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार बेहतरीन तैयारी कर रही है. अगले साल जब आप भारत आएं तो कुंभ मेले का भी दर्शन करें.
सुषमा स्वराज की जमकर तारीफ
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि सुषमा हर पल भारतीय नागरिकों की मदद में तैनात रहती हैं.
पहली बार प्रवासी सांसद सम्मेलन
प्रथम प्रवासी सांसद सम्मेलन में 23 देशों के भारतीय मूल के 140 से अधिक सांसद और मेयर के शामिल हुए. नई दिल्ली के प्रवासी भारतीय केंद्र में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन का उद्देश्य प्रवासी भारतीयों से संपर्क के जरिए इन देशों से संबंध मजबूत बनाना है.
इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिये 30 देशों को आमंत्रण भेजा गया था और 23 ने अपनी भागीदारी की पुष्टि की. ब्रिटेन, कनाडा, फिजी, केन्या, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और अन्य देशों से 124 सांसदों के इसमें भाग लेने का कार्यक्रम है.
विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, इस सम्मेलन में अमेरिका, मलेशिया, स्विटजरलैंड, गुयाना, त्रिनिदाद एवं टोबैगो सहित अन्य देशों से 17 मेयर के भी यहां दिन भर के कार्यक्रम में शरीक होने का कार्यक्रम है. अमेरिका में अभी सीनेट का सत्र चल रहा है, ऐसे में वहां से प्रतिनिधि नहीं आ रहे हैं. श्रीलंका को छोड़कर किसी अन्य दक्षेस देश को आमंत्रण नहीं भेजा गया.
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