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‘मन की बात’ में PM मोदी ने सुनाई बिहार के पूर्णिया की कहानी

ये रेडियो प्रोग्राम ‘मन की बात’ का 62वां एपिसोड है

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पीएम नरेंद्र मोदी ने 23 फरवरी को अपने रेडियो प्रोग्राम 'मन की बात' के जरिए देशवासियों को संबोधित किया. बता दें कि ये 'मन की बात' का 62वां एपिसोड था.

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PM मोदी ने ‘मन की बात’ में कहा-

  • कुछ दिनों पहले, मैंने दिल्ली के हुनर हाट में एक छोटी सी जगह में हमारे देश की विशालता, संस्कृति, परंपराओं, खानपान और जज्बातों की विविधताओं के दर्शन किए
  • हुनर हाट में भाग लेने वाले कारीगरों में पचास फीसदी से ज्यादा महिलाएं हैं और पिछले तीन सालों में हुनर हाट के जरिए लगभग तीन लाख कारीगरों, शिल्पकारों को रोजगार के अनेक अवसर मिले हैं
  • हुनर हाट में एक दिव्यांग महिला की बातें सुनकर बड़ा संतोष हुआ. उन्होंने मुझे बताया कि पहले वो फुटपाथ पर अपनी पेंटिंग्स बेचती थीं, लेकिन हुनर हाट से जुड़ने के बाद उनका जीवन बदल गया. आज वो न केवल आत्मनिर्भर हैं, बल्कि उन्होंने खुद का एक घर भी खरीद लिया है
  • इन दिनों हमारे देश के बच्चों और युवाओं में साइंस और टेक्नोलॉजी के प्रति रूचि लगातार बढ़ रही है. अंतरिक्ष में रिकॉर्ड सैटेलाइट का प्रक्षेपण, नए-नए रिकॉर्ड, नए-नए मिशन हर भारतीय को गर्व से भर देते हैं
  • बच्चों के, युवाओं के उत्साह को बढ़ाने के लिए उनमें साइंटिफिक टेंपर को बढ़ाने के लिए एक और व्यवस्था शुरू की गई है. अब आप श्रीहरिकोटा से होने वाली रॉकेट लॉन्चिंग को सामने बैठकर देख सकते हैं. हाल ही में इसे सबके लिए खोल दिया गया है
  • 31 जनवरी 2020 को लद्दाख की खूबसूरत वादियां, एक ऐतिहासिक घटना की गवाह बनीं. लेह के कुशोक बाकुला रिम्पोची एयरपोर्ट से भारतीय वायुसेना के AN-32 विमान ने जब उड़ान भरी तो एक नया इतिहास बन गया. इस उड़ान में 10% इंडियन बायो जेट फ्यूल का मिश्रण किया गया था
  • हमारा नया भारत अब पुराने अप्रोच के साथ चलने को तैयार नहीं है. खासतौर पर नए भारत की हमारी बहनें और माताएं तो आगे बढ़कर उन चुनौतियों को अपने हाथों में ले रही हैं, जिनसे पूरे समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है

PM मोदी ने सुनाई बिहार के पूर्णिया की कहानी

PM मोदी ने कहा-

  • बिहार के पूर्णिया की कहानी देश के लोगों को प्रेरणा से भर देने वाली है. ये वो इलाका है जो दशकों से बाढ़ की त्रासदी से जूझता रहा है. ऐसे में यहां खेती और आय के अन्य संसाधनों को जुटाना बहुत मुश्किल रहा है. मगर इन्हीं परिस्थियों में पूर्णिया की कुछ महिलाओं ने एक अलग रास्ता चुना
  • पहले इस इलाके की महिलाएं, शहतूत या मलबरी के पेड़ पर रेशम के कीड़ों से कोकून तैयार करती थीं. जिसका उन्हें बहुत मामूली दाम मिलता था. जबकि उसे खरीदने वाले लोग इन्हीं कोकून से रेशम का धागा बनाकर मोटा मुनाफा कमाते थे. आज पूर्णिया की महिलाओं ने एक नई शुरुआत की और पूरी तस्वीर ही बदलकर रख दी
  • इन महिलाओं ने सरकार के सहयोग से मलबरी-उत्पादन समूह बनाए. इसके बाद उन्होंने कोकून से रेशम के धागे तैयार किए, फिर उन धागों से खुद ही साड़ियां बनवाना शुरू कर दिया. आपको जानकर हैरानी होगी कि पहले जिस कोकून को बेचकर मामूली रकम मिलती थी, वहीं अब उससे बनीं साड़ियां हजारों रुपयों में बिक रही हैं
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