पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC)बैंक ने दिए गए लोन की रकम छिपाने के लिए 21 हजार फर्जी खाते खोले थे. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक के खिलाफ दर्ज कराई गई FIR में ये जानकारी सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक मैनेजमेंट ने ऐसा इसलिए किया था ताकि किसी को भी एनपीए के बारे में पता न चले और वो HDIL को लोन देता रहे.
PMC बैंक मैनेजमेंट पर एनपीए की जानकारी छिपाने और नियमों को ताक पर रखकर लोन बांटने का आरोप है. इससे बैंक को करीब 4355 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. इस मामले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में शिकायत दर्ज कराई गई है.
EOW में दर्ज कराई गई FIR में क्या है?
- PMC बैंक ने एक रिएल स्टेट ग्रुप और इसकी कंपनियों को 44 लोन दिए.
- बैंक की वित्तीय हालत खराब थी, लेकिन बैंक धोखे से अपनी वित्तीय स्थिति ठीक बताता रहा.
- बैंक के कोर बैंकिंग सिस्टम में फर्जी लोन खातों को दर्ज नहीं किया गया था.
- FIR में पीएमसी के चेयरमैन वरयम सिंह और निलंबित एमडी जॉय थॉमस समेत बैंक के अन्य अधिकारियों के नाम शामिल हैं
- इसमें दिवालिया कंपनी हाउसिंग डिवेलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) और इसके पूर्व अफसरों सारंग वाधवान और राकेश वाधवान के नाम भी शामिल हैं. PMC ने इन्हें ही लोन दिया था
रॉयटर्स के मुताबिक, एक सरकारी अफसर ने बताया कि सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस PMC मामले में HDIL की भूमिका की जांच करेगा. अगले दो महीने में जांच पूरी होने की उम्मीद है.
PMC बैंक ने खोले थे 21 हजार फर्जी खाते
मुंबई पुलिस के सूत्रों ने बताया कि पिछले दस सालों में पीएमसी बैंक में हाउसिंग कंपनी HDIL को लोन दिलाने के लिए करीब 21 हजार फर्जी खाते खोले गए थे. PMC बैंक के निलंबित एमडी जॉय थॉमस ने गलत तरीके से HDIL की मदद की थी.
बैंक ने कुल लोन कैपिटल का 73 फीसदी यानी 6,226 करोड़ रुपये HDIL को दे दिया था. बता दें, रियल एस्टेट सेक्टर की प्रमुख कंपनी HDIL अब दिवालिया हो गई है.
लोन नहीं चुकाया, फिर भी बैंक ने दिया लोन
रिपोर्ट के मुताबिक, HDIL पहले से लिए हुए लोन को ही नहीं चुका पा रही थी. इसके बावजूद PMC बैंक ने फाइनेंस फ्रॉड का मामला खुलने से महीने भर पहले भी HDIL के मालिक सारंग वधावन को पर्सनल लोन दिया था, ताकि वो बैंक ऑफ इंडिया से लिया गया लोन भर सकें.
बैंक ऑफ इंडिया ने लोन की किश्त जमा ना करने पर HDIL के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की थी. HDIL ने बैंक ऑफ इंडिया से 520 करोड़ रुपये का लोन ले रखा था.
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