दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कई इलाकों में बुधवार को जहरीली धुंध छाई रही और हवा की गुणवत्ता ‘‘बहुत खराब’’ श्रेणी में रही. दिल्ली सरकार ने हवा की गुणवत्ता का स्तर गिरने के पीछे मुख्य वजह पड़ोसी राज्यों में पराली जलाये जाने को बताया जो अक्टूबर-नवंबर में हर साल होता है.
15 अक्टूबर से 15 नवंबर का समय बहुत अहम माना जाता है जब पंजाब और आसपास के राज्यों में पराली जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं सामने आती हैं. यह दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण है.
दिल्ली सरकार ने एक बयान में कहा,
‘‘दिल्ली में हवा की गुणवत्ता पिछले 7-8 महीने से अच्छी या मध्यम स्थिति में थी, लेकिन अब प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ गया है. साफ तौर पर प्रदूषण में आकस्मिक बढ़ोतरी बाहर से आ रहे धुएं के कारण हुई है.’’
बुधवार शाम नासा की तरफ से जारी एक तस्वीर में हरियाणा, पंजाब और पश्चिम उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के कई दृश्य नजर आ रहे हैं.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार दिल्ली की एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) शाम चार बजे 304 के स्तर पर रहा.10 मिलीमीटर से कम व्यास वाले पार्टिकुलेट कण प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं. मंगलवार को एक्यूआई 270 थी.
मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि सघन धुंध की वजह से बुधवार को सफदरजंग में विजविलीटी शाम 5:50 बजे 1800 मीटर हो गयी जो मंगलवार को शाम 5:30 बजे 2200 मीटर थी. पालम मौसम केंद्र में विजविलीटी में 1000 मीटर की गिरावट दर्ज की गई.
दिल्ली के 37 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों में से 23 में एक्यूआई ‘‘बहुत खराब’’ श्रेणी में दर्ज की गई.
एक्यूआई मुंडका में 351, द्वारका सेक्टर 8 में 365, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में 331, आनंद विहार में 342, वजीरपुर में 337, रोहिणी में 329, बवाना में 349, अशोक विहार में 329, नेहरू नगर में 330 और जहांगीरपुरी में 328 रही.
इनके अलावा अलीपुर (315), नरेला (341), विवेक विहार (336), सिरी फोर्ट (332), सीआरआरआई - मथुरा रोड (312), ओखला फेज 2 (314) और आईटीओ (309) में भी बहुत खराब हवा की गुणवत्ता रही
पड़ोसी इलाकों गाजियाबाद (338), लोनी देहात (335), नोएडा (327) और ग्रेटर नोएडा (308) में भी प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई। एक्यूआई 0 से 50 के बीच होने पर ‘अच्छा’ होता है, जबकि 51 से 100 के बीच होने पर ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच होने पर उसे ‘गंभीर’ समझा जाता है.
दक्षिण दिल्ली नगर निगम ने कहा कि उसने सोमवार से कचरा, रबर और प्लास्टिक कचरा जलाने और ठोस कचरा प्रबंधन नियमों की अवहेलना के लिए 134 चालान काटे हैं.
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बीजेपी सांसद मनोज तिवारी और गौतम गंभीर ने पानी का छिड़काव करने वाले 40 टैंकरों, दो सुपर-सकर मशीनों, छह सक्शन जेटिंग मशीनों को हरी झंडी दिखाई जो शहर में प्रदूषण कम करने में मदद करेंगी.
केंद्र द्वारा संचालित हवा की गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (सफर) ने कहा कि दिल्ली की समग्र वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी के निम्न छोर पर है और पीएम 2.5 प्रमुख प्रदूषणकारी तत्व है. सफर ने कहा,
‘‘इस मौसम में यह पहली बार इस स्तर पर पहुंचा है और अगले दो दिन इसी जोन में रहने की संभावना है.’’
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री कैलाश गहलोत ने केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर ‘सफर’ के आंकड़े मुहैया कराने का आग्रह किया है, ताकि प्रशासन वायु प्रदूषण को रोकने के लिए तत्काल सुधारात्मक उपाय कर सके. इससे पहले, पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने कहा था कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में प्रदूषण के स्थानीय स्रोत खराब वायु गुणवत्ता के मुख्य कारण है.
इससे पहले, पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने कहा था कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में प्रदूषण के स्थानीय स्रोत खराब हवा की गुणवत्ता के मुख्य कारण हैं. उधर हवा की गुणवत्ता में लगातार हो रही गिरावट के मद्देनजर केंद्र में बुलाई गई एक उच्च स्तरीय बैठक नई तारीख तय किये जाने तक स्थगित कर दी गई है.
बैठक में दिल्ली,पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के पर्यावरण मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी भाग लेंगे.
सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय की सुझाई गई 17 अक्टूबर की तारीख पर संबद्ध राज्य सरकारों की सहमति नहीं बन पाने के कारण बैठक स्थगित कर दी गई. केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में वायु प्रदूषण रोकने के लिये राज्य सरकारों के स्तर पर अब तक किये गये उपायों की समीक्षा की जायेगी. बैठक में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के पर्यावरण मंत्री और अतिरिक्त मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (पर्यावरण) शामिल होंगे.
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