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वोटों की खातिर हर किसी को भाता है दलित-पिछड़ों के साथ बैठकर खाना

दलित और पिछड़े लोगों के साथ भोजन करना राजनीति का नया ट्रेंड

Published
भारत
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भारत में दलितों के सबसे बड़े नेता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा था, “छुआछूत गुलामी से भी बदतर है. भारत में दलित (जिन्हें पहले अछूत कहा जाता था) आज भी सबसे खराब स्थिति में जीते हैं, क्योंकि जाति-व्यवस्था उन्हें समाज में सबसे निचले स्थान पर रखती है. यही हाल गरीबों का भी है. इसके बावजूद इनका वोट बैंक नेताओं के लिए इन्हें खास बनाता है.

चुनाव के नजदीक आते ही इनको लुभाने के कई तरीके नेतागण निकाल लेते हैं. ऐसे कई नेता हैं, जिन्होंने पिछड़ी जाति के लोगों के घर जाकर या उनके साथ भोजन करके सुर्खियां बटोरीं.

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अमित शाह

दलित और पिछड़े लोगों के साथ भोजन करना राजनीति का नया ट्रेंड
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (फोटो: रौशन जायसवाल)

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले एक गांव में दलित परिवार के साथ भोजन कर सुर्खियों में आ गए हैं. अपने यूपी दौरे के दौरान अमित शाह ने वाराणसी के जोगियापुर गांव में दलित परिवार के साथ जमीन पर बैठकर खाना खाया.

पार्टी ने इस भोजन को ‘समरसता भोज’ का नाम दिया है. उत्तर प्रदेश में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले दलितों को आकर्षित करने की पार्टी की यह योजना खूब रही!

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राहुल गांधी

दलित और पिछड़े लोगों के साथ भोजन करना राजनीति का नया ट्रेंड
राहुल गांधी (फाइल फोटो: PTI)

जून, 2016 में राहुल गांधी ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र अमेठी में दलित के घर रात बिताई और घर की बनी रोटियों से अपना पेट भरा था. घर के बाहर खाट पर बैठ उन्होंने चौपाल लगाकर लोगों की समस्याओं को सुना था. 2008 में भी राहुल गांधी सु‍नीता कोरी के घर आकर रुके थे. लेकिन उसके बाद उनकी समस्याएं हल होने के बजाय और बढ़ गईं.

इसे लेकर राहुल गांधी की आलोचना भी हुई थी. उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री ने राहुल के दलित प्रेम पर हमला करते हुए कहा था कि दलित के घरों से लौटने पर वो ‘विशेष साबुन’ से नहाते हैं.

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नरेन्द्र मोदी

दलित और पिछड़े लोगों के साथ भोजन करना राजनीति का नया ट्रेंड
पीएम नरेंद्र मोदी (फोटो: PIB)

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हालांकि कभी दलितों के घर नहीं पहुंचे, पर खाना खाने का मौका उन्होंने भी नहीं छोड़ा. फरवरी, 2016 में मोदी वाराणसी में 15वीं सदी के दलित कवि श्री रविदास के जयंती समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे थे. इस आध्यात्मिक मंदिर का दलितों के दिल में विशेष स्थान है. यहां आयंगर (सामूहिक रसोईघर में तैयार भोज) में हिस्सा लेकर मोदी ने दलितों के साथ लंगर में खाना खाया था.

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राजनाथ सिंह

दलित और पिछड़े लोगों के साथ भोजन करना राजनीति का नया ट्रेंड
भोजन करते केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अप्रैल 2015, में दिल्ली में दलित और खासकर ऐसी महिलाओं के साथ बैठकर भोजन किया, जो कभी सिर पर मैला ढोती थीं.

उस समय बिहार में जनता दल परिवार के एकीकरण के प्रयास चल रहे थे. चुनाव की आहट के बीच ‘जातिगत’ सियासत के मोर्चे पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बीजेपी की तरफ से नया सियासी संदेश देने की कोशिश की थी.

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वसुंधरा राजे सिंधिया

दलित और पिछड़े लोगों के साथ भोजन करना राजनीति का नया ट्रेंड
वसुंधरा राजे (फोटो साभार: Twitter/Venkatesh Nayak)

फरवरी, 2014 में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने भी फरिया गांव पहुंचकर वहां अमरा गुर्जर के घर जाकर खाना खाया था. सिंधिया ने खुले आंगन में चूल्हे के पास बैठकर बाजरे की रोटी, दाल, दही, गुड़, धनिये की चटनी, चने के साग व मक्खन के साथ ठेठ देशी अंदाज में बोरी पर बैठकर खाना खाया था. मुख्यमंत्री ने मेजबान से घर में गैस कनेक्शन देने का वादा किया था. 2016 में उन्होंने अपना वादा पूरा किया.

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मोहन भागवत

दलित और पिछड़े लोगों के साथ भोजन करना राजनीति का नया ट्रेंड
मोहन भागवत (फोटो: PTI)

दलितों के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सिंहस्थ कुंभ मेले, 2016 में वहां की सफाई-व्यवस्था में लगे कर्मियों के साथ भोजन किया था. हालांकि इन्‍हें वोटों की कोई दरकार न थी.

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