उत्तर भारत के कई शहरों की तरह लखनऊ की हवा भी इन दिनों जहरीली हो गई है. एयर पॉल्यूशन में लखनऊ अब देश के सातवें नंबर का शहर बन गया है. एयर क्वॉलिटि इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबित, लखनऊ में प्रदूषण का लेवल 430 माइक्रोग्राम है. ये सांस के मरीजों के लिए खतरनाक है.
एयर पॉल्यूशन से हुए स्मॉग के कारण लखनऊ में भी पिछले दो दिन से सूरज की रोशनी नहीं दिखी. इससे सिर्फ इंसान ही नहीं, बल्कि पशु-पक्षी भी परेशान हैं. स्मॉग के इसी असर को जानने के लिए हम पहुंचे ओल्ड लखनऊ.
ओल्ड लखनऊ के ज्यादातर छतों पर कबूतर के पिंजरे दिख जाएंगे. यहां लोग बड़े शौक से कबूतर पालते हैं. यहीं पर हमारी मुलाकात चौक इलाके के प्रशांत यादव से हुई. वो बीते सात साल से कबूतरबाजी कर रहे हैं. प्रशांत कबूतरों के लिए बढ़िया खाना, साफ-सफाई और देखभाल का खास खयाल रखते हैं.
फिलहाल प्रशांत बढ़ते स्मॉग और उसके असर से परेशान हैं. उन्हें डर है कि कहीं उनके कबूतर भी जहरीली हवा के शिकार न हो जाएं. प्रशांत कहते हैं:
अभी अभी स्मॉग की शुरुआत हुई है. हमारे किसी कबूतर को फिलहाल तो इससे नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन जिस तरह से हवा जहरीली हो रही है, उसी को देखते हुए इससे बचने के लिए हम अपने कबूतरों के लिए अपनी जानकारी के मुताबिक दवा भी दे रहे हैं.(फोटो: विक्रांत दूबे/द क्विंट)
चिड़ियों की चहचहाहट हुई गायब
पशु-पक्षियों पर प्रदूषण का कितना असर पड़ता है, यह हम अतीत में देख चुके हैं. पहले छोटे शहरों की सुबह चिड़ियों की चहचहाहट से होती थी. लेकिन बीते कुछ सालों में नन्हीं गौरेया अचानक लापता सी हो गई है. इसकी वजहों को जानने समझने के लिए कई शोध हुए हैं.
गांवों में दिखने वाले गिद्ध तो अब विलुप्त ही हो गए हैं. जानकारों के मुताबिक, वायु प्रदूषण बढ़ने पर जिस तरह इंसानों को सांस लेने में दिक्कत होती है, उसी तरह परिंदों को भी सांस लेने में दिक्कत होती है. उनके फेंफड़ों की धमनियां फट जाती हैं.
ऐसा देखा गया है कि परिंदे बचने के लिए बहुत बार अपना इलाका बदल लेते हैं. लेकिन जिस रफ्तार से प्रदूषण बढ़ रहा है, क्या उनके लिए कहीं कोई सुरक्षित जगह भी बचेगी, यह कहना मुश्किल है.
लखनऊ चिड़ियाघर के वेटनरी अफसर डॉ. अशोक कश्यप का कहना है कि कोहरे से परेशानी होती है. यह एक गंभीर मुद्दा है, लेकिन चिड़ियाघर में पशु पक्षी ठीक हैं, क्योंकि उनका समय-समय पर इलाज होता रहता है और उन्हें जरूरी दवाइयां दी जाती हैं. यह इलाका पेड़ों से हरा भरा है. लिहाज स्मॉग का उतना असर नहीं होता.
इंसानों के शरीर के तापमान से पक्षियों के शरीर का तापमान ज्यादा होता है, प्रकृति ने उन्हें हर मौसम से लड़ने के लिए तैयार किया है. फिर भी देखा गया है कि सर्दियों में परिंदों को कोल्ड स्ट्रेस या कोल्ड शॉक होता है जो इन्हें परेशान करता है.डॉ अशोक कश्यप, वेटनरी अफसर, लखनऊ चिड़ियाघर
हॉस्पिटल में बढ़ी भीड़
इस बीच लखनऊ में स्मॉग के कारण सांस और दिल के मरीजों की संख्या 15 प्रतिशत बढ़ गई है. लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल का आईसीयू पूरी तरह भर गया है. लारी, बलरामपुर समेत दूसरे अस्पतालों में आईसीयू भर गया है और इमरजेंसी में भी बेड को लेकर मारामारी मची हुई है. ज्यादातर मरीज सर्दी-खांसी और अस्थमा की शिकायत के साथ अस्पताल में पहुंच रहे हैं.
सरकार की बढ़ी चिंता
इसे लेकर राज्य सरकार भी काफी चिंतित है. मुख्य सचिव राजीव कुमार ने अधिकारियों के साथ बैठक कर मौजूदा स्थित से निपटने के लिए सभी कदम उठाने को कहा है. कचरा जलाने पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिये गए हैं. ट्रैफिक जाम को रोकने के लिए रणनीति बनाई गई है. पानी का छिड़काव भी किया जाएगा. यही नहीं जो फ्रैक्ट्रियां नियमों का पालन नहीं करती हैं, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करने का फैसला लिया गया है.
उम्मीद है कि कुदरत जल्दी ही हम सब पर मेहरबान होगी और स्मॉग छटेगा, एक बार फिर सूरज की रोशनी दिखाई देगी. हम इंसानों समेत सभी पशु-पक्षी राहत की सांस लेंगे.
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