प्रसार भारती और सरकार एक मसले पर आमने-सामने आ गए हैं. सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने प्रसार भारती बोर्ड को नियुक्ति से जुड़े कुछ निर्देश दिए थे, लेकिन बोर्ड ऑटोनॉमी का हवाला देते हुए उसे मानने से इनकार कर दिया है.
पूरा मामला इस तरह है. आईबी मिनिस्ट्री में सर्विस कर रहे आईएएस अधिकारी को प्रसार भारती के बोर्ड में डायरेक्टर (पर्सनल) के रूप में रखने को कहा गया था. साथ ही दो पत्रकारों को ऊंची सैलरी-पैकेज पर नौकरी देने को कहा था गया था. लेकिन बोर्ड ने इन निर्देशों को खारिज कर दिया है.
प्रसार भारती ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय की तरफ से दिए गए कुछ दूसरे दिशा-निर्देशों को भी प्रसार भारती अधिनियम 1990 की अवमानना करार देते हुए खारिज कर दिया है.
ऊंची सैलरी पर मीडियाकर्मियों को रखने का प्रस्ताव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार को प्रसार भारती बोर्ड की हुई इस बैठक का नेतृत्व चेयरपर्सन सूर्य प्रकाश ने किया था, जिसमें ये फैसला लिया गया. प्रसार भारती ने कहा है कि आईबी मिनिस्ट्री प्राइवेट मीडिया संस्थान में काम कर रहे दो पत्रकारों को नौकरी पर रखने के लिए दबाव बना रहा है.
प्रसार भारती के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, मंत्रालय ने डीडी न्यूज के हेड के रूप में 1 करोड़ रुपये सालाना सैलरी पर, जबकि प्रसार भारती के चीफ एडिटर के रूप में 75 लाख रुपये सालाना सैलरी पर दो मीडियाकर्मियों को नियुक्त करने को कहा था.
बोर्ड ने कहा, ये ठीक नहीं
प्रसार भारती से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, प्रसार भारती में कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए लोगों का अधिकतम वेतन करीब 1.6 लाख रुपये प्रति माह है. इसे बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये सालाना किए जाने को वाजिब नहीं ठहराया जा सकता.
उनका कहना है कि बोर्ड चाहता है कि क्वालिटी में सुधार के लिए बेहतरीन मीडिया पेशेवर लाए जाएं, लेकिन मसला सैलरी का है. बोर्ड एक सार्वजनिक निगम है और बोर्ड इतनी ऊंची सैलरी पर लोगों को नियुक्त नहीं कर सकता.
बोर्ड में IAS का नहीं है प्रावधान
प्रसार भारती बोर्ड में आईएएस अधिकारी की नियुक्ति को लेकर बवाल हो रहा है, लेकिन बोर्ड में इसके लिए कोई प्रावधान ही नहीं है.
एक अधिकारी के मुताबिक, प्रसार भारती के बोर्ड में एक चेयरमैन, एक एग्जीक्यूटिव मेंबर (सीईओ), दो सदस्यों (फाइनेंस और पर्सनल), 6 पार्ट टाइम मेंबर, आईबी मिनिस्ट्री का एक प्रतिनिधि, ऑल इंडिया रेडियो के डायरेक्टर जनरल और दूरदर्शन के एक्स-ऑफिसियो मेंबर शामिल होते हैं. बोर्ड में ब्यूरोक्रैट के होने का कोई प्रावधान नहीं है.
प्रसार भारती की स्वायत्तता पर सवाल
नाम न बताने की शर्त पर एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि प्रसार भारती अधिनियम बताता है कि बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति उपराष्ट्रपति की अध्यक्षता वाली एक समिति की सिफारिश पर की जाएगी.
बोर्ड की बैठक में चेयरपर्सन ने कहा कि अगर नियुक्ति मंत्रालय की सिफारिशों के आधार पर की जाती है, तो ये उपराष्ट्रपति कार्यालय और प्रसार भारती की स्वायत्तता को नजरअंदाज करना होगा. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि इस बात को भुला दिया गया है कि प्रसार भारती स्वायत्त निगम है.
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