देश के बड़े शहरों में कारों की संख्या कम करने और ट्रैफिक जाम की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार एक नई योजना पर काम कर रही है. सरकार प्राइवेट कार मालिकों को ओला और उबर टैक्सी की तरह राइड शेयरिंग की मंजूरी दे सकती है.
पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली नीति आयोग ने राइड शेयरिंग कंपनी उबर से पार्टनरशिप की है. ये ओला और उबर जैसी कंपनियों के लिए अच्छी खबर हो सकती है, लेकिन टैक्सी ड्राइवरों के लिए परेशानी की बात हो सकती है.
इस मामले से जुड़े सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि तीन महीने के लिए एक अध्ययन कराया जा रहा है, जो अभी अपने शुरुआती चरण में है. अध्ययन के बाद इस योजना को पूरे देश में बिना किसी समस्या के संचालन करने के लिए उचित ढांचा तैयार किया जाएगा.
ऑस्ट्रेलिया-सिंगापुर में मौजूद है ये सर्विस
उबर ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे देशों में पहले से ही प्राइवेट कारों को राइड शेयरिंग के लिए इस्तेमाल कर रही है. हालांकि नॉर्थ अमेरिका में उसे टैक्सी ऑपरेटर्स के विरोध का सामना करना पड़ा था.
उबर के प्रवक्ता का कहना है कि प्राइवेट कार की शेयरिंग से सड़कों पर जाम और भीड़भाड़ कम होगी.
सरकार के इस फैसले से भारत में कार बिक्री पर असर पड़ सकता है. हमारे देश में कार ओनरशिप अनुपात (1000 लोगों पर 20 कार) दूसरे देशों की अपेक्षा बहुत कम है.
मारुति सुजुकी, हुंडई मोटर और टाटा मोटर्स जैसी बड़ी कंपनियों का अनुमान है कि साल 2020 तक भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार बाजार होगा.
(इनपुट: रॉयटर्स)
ये भी पढ़ें: ओला-Uber से परेशान ड्राइवरों ने शुरू की ऐप आधारित नई टैक्सी सर्विस
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)