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Q-बुलेटः इस्तांबुल में धमाका, सीमापार से घाटी में दाखिल हुए आतंकी

पढ़िए बुधवार सुबह की सबसे बड़ी खबरें सिर्फ एक मिनट में.

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1. इस्तांबुल में ‘आत्मघाती हमला’, 36 की मौत

इस्तांबुल (तुर्की) में 3 आत्मघाती हमलावरों ने बुधवार को अतातुर्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को निशाना बनाया. पहले उन्होंने बंदूकों से एयरपोर्ट गेट पर खड़े रक्षा गार्डों पर हमला किया, फिर खुद को बम से उड़ा लिया.

तुर्की के प्रधानमंत्री बिनाली युलदरम ने कहा है कि हमले में कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई है. करीब 90 लोग इस हमले में घायल हुए हैं. मारे गए लोगों में कुछ विदेशी नागरिक भी हो सकते हैं. ऐसे संकेत हैं कि इस हमले में इस्लामिक स्टेट या उससे जुड़े किसी संगठन का हाथ हो.

बीबीसी की खबर के मुताबिक, सरकार और कुर्द चरमपंथियों के बीच बीते साल संघर्ष विराम खत्म होने के बाद तुर्की में हाल के महीनों में कई बम धमाके हुए हैं. इनके लिए कुर्द अलगाववादियों या इस्लामिक स्टेट को जिम्मेदार माना गया है.

अमेरिकी विदेश विभाग ने हाल ही में अपने नागरिकों के लिए चेतावनी जारी की थी कि वे तुर्की जाएं तो सावधानी बरतें. वहीं फ्रांस दूतावास ने अपने नागरिकों से इलाके में जाने से साफ मना कर दिया है. इस हमले में किसी भारतीय के घायल होने की फिलहाल कोई खबर नहीं है.

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2. जम्मू-कश्मीर में घुसे 60 फिदायीन, सुरक्षा बलों में हलचल

ताजा खूफिया रिपोर्टों की मानें, तो जम्मू-कश्मीर में 60 फिदायिनों के बॉर्डर पार कर घाटी में घुसने की खबर है, जिसे लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने चौकसी बढ़ा दी है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, ये फिदायीन हमलावर घाटी में हाल में ही घुसे हैं और उन्हें खासकर आर्मी, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और जम्मू-कश्मीर पुलिस समेत सुरक्षा बलों को ही निशाना बनाने को कहा गया है.

इस बात के सुराग तब हाथ लगे जब एजेंसियों ने लश्कर-ए-तैयबा के डिविजनल कमांडर अबू दुजाना की तलाश शुरू की. दुजाना ने ही पिछले सप्ताह सीआरपीएफ के काफिले पर हमला करवाया था, जिसमें 8 जवान शहीद हो गए थे.

3. रवि शास्त्री ने दी सौरव को नसीहत, आगे से उनका अपमान न करें

18 महीने तक टीम इंडिया के डायरेक्टर रहे रवि शास्त्री ने कहा है कि हेड कोच के लिए उनके इंटरव्यू के दौरान जब सिलेक्शन पैनल में शामिल सौरव गांगुली गैर-हाजिर रहे तो उन्होंने खुद को बेइज्जत महसूस किया.

सौरव को नसीहत देते हुए शास्त्री ने कहा कि गांगुली फ्यूचर में ऐसी चीजें न दोहराएं. शास्त्री ने एक दिन पहले ही ये भी कहा था कि गांगुली से ये जरूर पूछा जाना चाहिए कि उन्हें मुझसे दिक्कत क्या है?

एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में शास्त्री ने कहा कि इंडियन क्रिकेट में अब मुझे कोई चीज सरप्राइज नहीं करती. सिलेक्शन कमेटी का एक मेंबर (गांगुली) तो इंटरव्यू प्रोसेस के दौरान मौजूद ही नहीं था. ये मेरी और सिलेक्शन प्रोसेस की बेइज्जती है.

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4. यूपी सरकार सुलझाएगी गुमनामी बाबा का रहस्य

नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मौत और उत्तर प्रदेश के गुमनामी बाबा के बीच किसी कनेक्शन के रहस्य को अब उत्तर प्रदेश सरकार ने सुलझाने का फैसला किया है. यूपी सरकार ने गुमनामी बाबा की पहचान खोजने और उसे सार्वजनिक करने के लिए एक न्यायिक कमेटी का गठन किया है. गुमनामी बाबा नाम के शख्स साल 1985 तक पूर्वी उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में रहे थे. हालांकि कई लोगों का मानना है कि गुमनामी बाबा असल में आजादी की लड़ाई लड़ने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे.

यूपी की अखिलेश सरकार ने जस्टिस विष्णु सहाय को इस मामले की तह तक जाने के लिए नियुक्त किया है. छह महीने की तहकीकात के बाद जस्टिस सहाय अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगे. साल 2013 में एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने गुमनामी बाबा को असाधारण व्यक्तित्व करार देते हुए सरकार को इस रहस्य को सुलझाने के लिए एक कमेटी गठित करने को कहा था.

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5. चीन ने भारत को ठहराया NSG में फेल होने का जिम्मेदार

चीन सरकार द्वारा चलाए जाने वाले राष्ट्रीय दैनिक अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने मंगलवार को कड़े शब्दों में भारतीय राष्ट्रवादियों और इंडियन मीडिया की आलोचना की.

अखबार ने अपने संपादकीय में भारत को घमंडी बताया. साथ ही परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) के देशों में भारत को नहीं शामिल होने देने के चीन के फैसले की सराहना की.

ग्लोबल टाइम्स ने छापा कि एनएसजी की बैठक पिछले हफ्ते सोल में हुई. एनएसजी में गुरुवार शाम परमाणु अप्रसार समझौते (एनपीटी) पर दस्तखत न करने वाले देशों को एनएसजी की सदस्यता पर चर्चा के लिए एक विशेष सम्मेलन आयोजित किया गया. इसमें चीन समेत 10 देशों ने इस प्रयास का विरोध किया. भारत ने एनपीटी पर दस्तखत नहीं किए हैं, जिस वजह से उसकी सदस्यता पर रोक लगी है. लेकिन फिर भी भारत एनएसजी में शामिल होने के लिए सबसे उत्सुक आवेदक है.

अखबार ने लिखा कि कुछ भारतीय भी आत्मकेंद्रित और आत्मसंतुष्ट हैं. वहीं इसके विपरीत भारत सरकार सौम्यता से पेश आती है और संपर्क बनाए रखना चाहती है. अपनी झल्लाहट को खत्म करना भारत के लिए एक नया विकल्प होगा. भारत के राष्ट्रवादियों को यह सीखना होगा कि खुद व्यवहार कैसे करें. अब वो चाहते हैं कि उनका देश एक प्रमुख शक्ति बने, तो उन्हें यह जानना होगा कि प्रमुख शक्तियां अपना खेल कैसे खेलती हैं.

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