फाइटर प्लेन रफाल के सौदे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. गुरुवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने रफाल डील में घोटाले का आरोप लगाते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला था. वहीं शुक्रवार को रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उल्टे कांग्रेस पर ही सौदे में देरी का आरोप लगाया.
रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार को इमरजेंसी में यह सौदा करना पड़ा. उन्होंने कांग्रेस पर सत्ता में रहने के बावजूद एक दशक तक सौदे को लटकाए रखने और उससे सेना को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया.
इमरजेंसी में हुआ फैसला
रक्षा मंत्री सीतारमण ने कहा, "36 रफाल विमानों को खरीदने का फैसला एयरफोर्स की तात्कालिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया, क्योंकि इससे पहले यूपीए सरकार ने सेना की रक्षा तैयारियों पर ध्यान नहीं दिया था. यूपीए सरकार एयरफोर्स की सबसे आवश्यक जरूरत पर सालों तक कोई फैसला नहीं ले पाई." उन्होंने कहा कि यह बहुत दुखद है कि एक जिम्मेदार विपक्ष बिना तथ्यों की जांच किए इस प्रकार की बात कर रहा है.
यह सौदा पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के ‘लंबित सौदे’ से बहुत सस्ता है . कांग्रेस की ओर से रफाल विमान की खरीद पर आरोप लगाना ‘राजनीति से प्रेरित’ और ‘शर्मनाक’ है.निर्मला सीतारमण, रक्षा मंत्री
कांग्रेस ने लगाए थे ये आरोप
कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि बीजेपी सरकार ने यूपीए के वक्त तय कीमत से तीन गुना ज्यादा कीमत पर करार किया है.
कांग्रेस के मुताबिक, 2013 में मनमोहन सरकार ने फ्रांस से 526 करोड़ रुपये प्रति प्लेन के हिसाब से कीमत तय किए थे. लेकिन मोदी सरकार ने तीन गुना ज्यादा दाम देकर 1571 करोड़ में डील की. इसके अलावा कांग्रेस ने कुछ चुनिंदा उद्योगपति मित्रों को भी फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया.
ये है रफाल डील
भारत 7.8 अरब डॉलर में 36 रफाल फाइटर जेट खरीदेगा. पहला विमान सितंबर 2019 तक मिलने की उम्मीद है. फ्रांस के रफाल लड़ाकू विमानों को दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमानों में शुमार किया जाता है.
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(इनपुटः IANS से)
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