कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुए संकट के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि सरकार को गरीबों पर खर्चे को प्राथमिकता देनी चाहिए और कम जरूरी खर्चों को टाल देना चाहिए. राजन ने यह बात कोराना वायरस संकट को 'आजादी के बाद की सबसे बड़ी इमरजेंसी' करार देते हुए कही.
राजन ने लिंक्डइन पर एक ब्लॉग पोस्ट किया है. इस ब्लॉग में उन्होंने लिखा है कि इस वक्त गरीबों पर खर्चा करना सही कदम होगा. राजन ने लिखा है, ''अमेरिका या यूरोप के विपरीत, जो रेटिंग में गिरावट के डर के बिना जीडीपी का 10% ज्यादा खर्च कर सकते हैं, हम पहले ही एक बड़े राजकोषीय घाटे के साथ इस संकट में प्रवेश कर चुके हैं, अभी और भी खर्चा करना होगा.''
कोरोना वायरस लॉकडाउन के बाद की योजना पर फोकस करते हुए राजन ने कहा कि भारत को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि गरीब और गैर-वेतनभोगी लोअर मिडल क्लास, जिसे लंबे समय के लिए काम करने से रोका गया है, वो सर्वाइव कर सके.
राजन ने लिखा है कि 2008-09 में जब वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान बड़े पैमाने पर मांग को झटका लगा था, तब देश के कामगार काम पर जा सकते थे और वित्तीय प्रणाली काफी हद तक मजबूत थी. उन्होंने कहा, " आज जब हम कोरोना वायरस महामारी से लड़ रहे हैं तो इनमें से कुछ भी सच नहीं है. हालांकि फिर भी निराश होने की कोई वजह नहीं है.'' उन्होंने कहा कि भारत इस संकट को सही प्राथमिकताओं और प्रतिबद्धता के साथ मात दे सकता है.
राजन ने कहा कि लंबे समय तक देश को पूरी तरह से बंद रखना मुश्किल होगा. उन्होंने कहा, "इसलिए हमें यह भी सोचना चाहिए कि हम कम संक्रमण वाले क्षेत्रों में कुछ गतिविधियों को पर्याप्त सावधानी से कैसे शुरू कर सकते हैं."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)