कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने COVID-19 महामारी के असर और इस संकट से उबरने के बाद उठाए जाने वाले जरूरी कदमों को लेकर बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक के संस्थापक और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के साथ बातचीत की है.
बातचीत के दौरान राहुल ने पूछा, “COVID और आर्थिक संकट गरीबों, उनकी ऋण उपलब्धता और गरीब महिलाओं को कैसे प्रभावित करने जा रहा है?’’
इसके जवाब में मोहम्मद यूनुस ने कहा, ''वित्तीय प्रणाली को बहुत गलत तरीके से डिजाइन किया गया है. कोरोना वायरस ने समाज की कमजोरियों को बहुत ही कुरूप तरीके से उजागर किया है, जिसे आप अभी देख सकते हैं.''
उन्होंने गरीबों को लेकर कहा, ''शहरों में प्रवासी मजदूर, हमारे लिए काम करने वाले लोग, खाना बनाने वाले लोग, सुरक्षाकर्मी, दरबान, जो हमारे बच्चों की देखभाल करते हैं, हम उन्हें जानते हैं, लेकिन अचानक से हम उनमें से लाखों को घर जाने की कोशिश में हाईवे पर देखते हैं.''
इसके आगे उन्होंने कहा, ''इसकी साधारण सी वजह है कि उनके पास शहर में कुछ भी नहीं है, ऐसे में आखिरकार वे अपने घर ही जा सकते हैं. यह कोरोना वायरस की वजह से सामने आई एक दुखद वजह है. हमें इन लोगों को पहचानना होगा. अर्थव्यवस्था इन लोगों को नहीं पहचानती है.''
मोहम्मद यूनुस ने कहा, ''वे (लोग) इसे अनौपचारिक क्षेत्र कहते हैं, जिसका मतलब हुआ कि हमारा उनसे कोई लेना-देना नहीं है, वे अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं हैं. अर्थव्यवस्था औपचारिक क्षेत्र से शुरू होती है, इसलिए हम उसी में व्यस्त हैं.''
उन्होंने कहा
- अगर हम उनकी (गरीबों की) वित्तीय सहायता करते हैं, उनकी देखभाल करते हैं तो वे आगे बढ़ेंगे क्योंकि उनके पास आधारभूत चीजें ही हैं और वे जानते हैं कि उन्हें जीवन के लिए कैसे लड़ना है.
- अब महिलाओं पर आते हैं, आप संरचना को देखिए, वो सबसे निचले पायदान पर हैं. उनकी कोई आवाज नहीं है. परंपराएं पूरी तरह उन्हें अलग बनाती हैं. (जबकि) वे समाज की मूल ताकत हैं. सभी उद्यमशील क्षमता के साथ माइक्रो क्रेडिट आया और महिलाओं के पास गया तो उन्होंने दिखाया कि उनके पास कितनी उद्यम क्षमता है. यही कारण है कि माइक्रो क्रेडिट को न केवल बांग्लादेश, बल्कि पूरी दुनिया ने जाना.
- बांग्लादेश और भारत जैसे देशों में अरबपतियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसका मतलब है कि पैसा एक ही दिशा में तेजी से बढ़ रहा है.
बातचीत के आखिरी हिस्से में मोहम्मद यूनुस ने कहा, ''हमने लालच को हवा देने के लिए सब कुछ किया और फिर हमने पूरी दुनिया तो बर्बाद कर दिया. कोरोना ने हमें एक मौका दे दिया है, यह देखने के लिए कि बड़े साहसिक फैसले कैसे लिए जा सकते हैं. अब हमारे पास एक विकल्प है कि या तो हम भयानक दुनिया की तरफ जाएं जो खुद को ही तबाह करने जा रही है या हम एक नई दुनिया के निर्माण की तरफ जाएं, जहां कोई ग्लोबल वॉर्मिंग, कोई पूंजी आधारित समाज, कोई बेरोजगारी नहीं होगी, यह संभव है.''
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