दुनियाभर में कोरोना वायरस के लिए 200 से ज्यादा वैक्सीन कैंडिडेट पर काम हो रहा है. हाल ही में मॉर्डर्ना और फाइजर कंपनियों ने अपने वैक्सीन कैंडिडेट को कोरोना के खिलाफ 90% से अधिक प्रभावी बताया. रूस ने भी स्पुतनिक-V को 90% से अधिक प्रभावी बताया है. ये सभी दावों की खूब चर्चा भी हो रही है, इस बीच कोरोना वायरस और इसके वैक्सीन को लेकर राहुल गांधी ने पीएम मोदी से चार सवाल किए हैं-
1. सभी वैक्सीन कैंडिडेट में से भारत सरकार किसे चुनेगी और क्यों?
2. पहले वैक्सीन किसे मिलेगी और डिस्ट्रीब्यूशन स्ट्रेटेजी क्या होगी?
3. क्या PMCares फंड का इस्तेमाल फ्री वैक्सीनेशन के लिए किया जाएगा?
4. सभी भारतीयों को कब तक वैक्सीन दे दी जाएगी?
फिलहाल, इन चारों सवालों का फिलहाल कोई जवाब साफ-साफ नहीं पता है. ऐसे में कांगेस नेता राहुल गांधी ने ये सवाल सीधा पीएम मोदी से ही पूछा है.
भारत के लिए वैक्सीन को लेकर हमें क्या पता है?
बता दें कि टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारत पहले ही कई सप्लायर्स से 1.6 अरब खुराकें रिजर्व कर चुका है. मगर भारत ने जिन संभावित वैक्सीन के लिए डील की हैं, अगर उनके नतीजे अच्छे नहीं रहे तो उसे नई डील करने के लिए भी मजबूर होना पड़ सकता है. भारत की वैक्सीन डील्स में, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की संभावित वैक्सीन को सबसे ज्यादा उम्मीद भरी नजरों से देखा जा रहा है. भारत ने इसकी 500 मिलियन खुराकें रिजर्व की हैं.
एनडीटीवी के मुताबिक, सीरम इंस्टिट्यूट के चीफ अदार पूनावाला ने कुछ दिन पहले ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को लेकर उसे बताया था, ''अगर हम इमर्जेंसी लाइसेंस के लिए नहीं जाते हैं, तो दिसंबर तक हमारे ट्रायल्स खत्म हो जाने चाहिए.'' इसके साथ ही उन्होंने कहा था, ‘’हम पहले 100 मिलियन खुराक उपलब्ध कराने का टारगेट रख रहे हैं. यह 2021 की दूसरी या तीसरी तिमाही तक हो जाना चाहिए.’’
भारत ने नोवावैक्स के साथ भी 1 अरब खुराकें रिजर्व करने की डील की है. इसकी वैक्सीन के लिए अगर सब कुछ सही रहा तो वो 2021 के दूसरे हिस्से तक उपलब्ध हो सकती है. सितंबर में नोवावैक्स और सीरम इंस्टिट्यूट ने एक साल में 2 अरब तक खुराकें बनाने का समझौता भी किया है.
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