मुंबई के कांदीवली में उत्तर भारतीय महापंचायत ने एक प्रोग्राम आर्गेनाइज करवाया था. कार्यक्रम में राज ठाकरे को गेस्ट के तौर पर बुलाया गया था. इसमें राज ठाकरे ने उत्तरभारतीय लोगों से महाराष्ट्र में संघर्ष जैसे संवेदनशील मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखी.
बता दें राज ठाकरे और उनकी पार्टी की छवी उत्तर भारतीय विरोधी रही है . कई बार उत्तरप्रदेश और बिहार से मुंबई में आए लोगों को एमएनएस कार्यकर्ताओं ने मारा-पीटा है . इसके चलते राज ठाकरे के भाषण पर सबकी निगाहें थीं.
प्रोग्राम में राज ठाकरे ने अपना भाषण पहली बार हिंदी में दिया. राज ने बात शुरू करते हुए साफ कर दिया कि वे मंच पर सफाई देने नहीं, बल्कि उत्तरप्रदेश और बिहार से आने वाले लोगों को अपनी भूमिका समझाने आए हैं .
स्थानीय लोगों को पहले मिले रोजगार- ठाकरे
उत्तरप्रदेश और बिहार में इंडस्ट्री और उद्योग ना होने की वजह से रोज बड़ी संख्या में लोग मुंबई और महाराष्ट्र आते हैं, लेकिन एक बात उत्तरभारत के लोगों को भी समझनी चाहिए कि नौकरियां अगर महाराष्ट्र में हैं, तो पहला अधिकार महाराष्ट्र के लोगों का ही होगा. फिर अगर बची तो बाहर के लोग उस पर अधिकार है. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. बाहर के लोगों को पहले नौकरियां मिल रही हैं. ऐसा होता रहा तो संघर्ष तो होगा .राज ठाकरे
उन्होंने उत्तरप्रदेश के लोगों को अपने राज्य के नेताओं से सवाल पूछने की नसीहत दी. राज के मुताबिक, लोगों को उन पर विकास के लिए दबाव बनाना चाहिए, ताकि उन्हें बाहर न जाना पड़े और अपमान न सहना पड़े.
उत्तरप्रदेश ने सबसे ज़्यादा प्रधानमंत्री दिए, फिर भी विकास क्यों नहीं?
अपने भाषण में राज ठाकरे ने उत्तरप्रदेश के लोगों को याद दिलाया कि ‘देश में सबसे ज़्यादा प्रधानमंत्री उत्तरप्रदेश ने दिए हैं. लेकिन वहां की जनता ने उनसे ये नहीं पूछा की हमारे लिया क्या किया? क्यों राज्य में उद्योग नहीं आते?
क्यों स्थानीय लोगों के हाथो में काम नहीं आता? क्यों काम के लिए हमें दूसरे राज्य में जाना पड़ता है? देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उत्तरप्रदेश से ही आते हैं, लेकिन उन्होंने भी क्या किया मालूम ही है .’
'अब आप भी अपने लोगों को मुंबई आने से रोको'
मुंबई में इतनी भीड़ हो गई है कि लोगों को रहने के लिए घर नहीं है. स्कूल में दाखिले नहीं हो पाते. हर शहर की अपनी सीमा होती है, मुंबई भी अपनी सीमा के बाहर लोगों को संभाल रही है. ऐसे में आप लोगों को अपने लोगों को मुंबई आने से रोकना चाहिए.राज ठाकरे
रेलवे भर्ती आंदोलन पर बोले राज...
राज ठाकरे के जिस आंदोलन के बाद उनकी छवि उत्तर भारतीय विरोधी बनी, उन्होंने उस आंदोलन का अपना वर्जन सामने रखा. राज के मुताबिक,
रेलवे भर्ती मुंबई और महाराष्ट्र के लिए थी. लेकिन उसका एडवर्टाइजमेंट मुंबई के अखबारो में नहीं, बल्कि उत्तरप्रदेश और बिहार में आए थे. ऐसा क्यों? जब हमने इस बात का जवाब रेलवे से लिखित में पूछा तो उनका कोई उत्तर नहीं मिला. फिर हमारे लोगों ने उनसे मिलकर पूछा तो जो जवाब मिला, उससे खून खोल गया. इसलिए आंदोलन करना पड़ा.राज ठाकरे
राज का कहना है कि अगर महाराष्ट्र में नौकरियां हैं, तो स्थानिक लोगों को पहले उसका अधिकार मिलना चाहिए . हमारे ही आंदोलन की वजह से अब परीक्षा में राज्य की भाषा का टेस्ट होता है.
'माइग्रेशन के कानून में बदलाव की जरूरत'
एमएनएस प्रमुख ने कहा कि देश के नेताओं को अब विचार करना चाहिए कि माइग्रेशन कानून में बदलाव हो, जिससे किसी एक राज्य पर इतना बोझ ना पड़े .
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