राजस्थान (Rajasthan) में तेज गर्मी के चलते बढ़ी मांग से बिजली(Electricity) की उपलब्धता कम हो गई है. जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश भर में अलग-अलग समय में बिजली कटौती के आदेश जारी कर दिए हैं. हालांकि आवश्यक सेवाओं जैसे-अस्पताल, ऑक्सीजन सेंटर, पेयजल आपूर्ति और मिलिट्री इंस्टालेशन आदि को बिजली कटौती से पूरी तकह मुक्त रखा गया.
सरकार के निर्देशों के मुताबिक संभागीय मुख्यालयों पर एक घंटा, जिला मुख्यालयों पर दो घंटे, नगरपालिका क्षेत्रों और 5 हजार से अधिक आबादी वाले कस्बों में 3 घंटे बिजल- कटौती करने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए अलग-अलग समय निर्धारित किया गया है.
कटौती का सबसे ज्यादा असर उत्पाद के क्षेत्र में देखने का मिलेगा. सरकार ने कृषि आपूर्ति ब्लॉक के समय को 6 घंटे से घटाकर 5 घंटा किया है. वहीं सभी औद्योगिक उपभोक्ताओं को शाम 6 बजे से 10 बजे तक अपने विद्युत उपभोग को 50 प्रतिशत तक सीमित करने के निर्देश दिए गए.
उर्जा मंत्री ने भंवर सिंह भाटी की अध्यक्षता में प्रदेश में बिजली की मांग और उपलब्धता की उच्चाधिकारियों के साथ समीक्षा भी की. इधर भीषण गर्मी के बीच राजस्थान अब तपने लगा है, अप्रैल में करीब पांच साल बाद पारा 45 डिग्री के पार पहुंच रहा है.
कोयला संकट
वर्तमान में राष्ट्रव्यापी घरेलू कोयले के संकट और आयातित कोयले की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी के चलते बिजली की उपलब्धता में कमी आई है.
केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार 173 कोयला आधारित विद्युत गृहों में से 8 बंद हैं. देश के 98 कोयला आधारित विद्युत गृहों में कोयला भंडारण निर्धारित मात्रा का 25 प्रतिशत से भी कम है एवं यह सभी विद्युत गृह कोयला भंडारण के हिसाब से क्रिटिकल लेवल पर है. निर्धारित कोयला भंडारण मात्रा का राजस्थान और मध्यप्रदेश में 13 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 14 प्रतिशत, उत्तरप्रदेश में 19 प्रतिशत, गुजरात में 23 प्रतिशत, पंजाब में 28 प्रतिशत एवं हरियाणा में 35 प्रतिशत उपलब्ध है.
इन सभी राज्यों में बिजली की उपलब्धता में कमी और खपत में वृद्धि में आए अप्रत्याशित अंतर के चलते बिजली की आपूर्ति बाधित हुई है. राजस्थान राज्य भी इससे अछूता नहीं है, बल्कि राजस्थान में 35 प्रतिशत की अप्रत्याशित बढ़ोतरी के चलते बिजली की आपूर्ति बाधित हुई है.
प्रमुख शासन सचिव उर्जा और अध्यक्ष डिस्कॉम्स भास्कर ए सावंत ने बैठक में बिजली की उपलब्धता और मांग व आपूर्ति की स्थिति के बारे में बताया कि अप्रैल महीने में भीषण गर्मी और कोविड महामारी के बाद आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी के चलते राजस्थान में बिजली की खपत में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. पिछले साल की तुलना में इस साल अप्रैल में बिजली की मांग में लगभग 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
साथ ही पीक डिमांड भी 22 प्रतिशत बढ़कर 14200 मेगावाट तक पहुंच गई है. इस महीने बिजली की खपत 3000 लाख यूनिट प्रतिदिन के स्तर पर पहुंच चुकी है.
मांग और आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए मजबूरीवश ग्रामीण क्षेत्रों और कस्बों में बिजली की आपूर्ति में कटौती की जा रही है. पहले यह कटौती ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित थी, ग्रामीण क्षेत्रों में आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए नगरीय क्षेत्रों में भी कटौती गत दो-तीन दिनों से की गई है. लफिलहार राज्य में प्रतिदिन लगभग 480 लाख यूनिट बिजली की कमी है यानी दिन के 24 घंटों में 15-15 मिनट के ब्लॉक्स में यह कमी 500 मेगावाट से 3000 मेगावाट के मध्य रहती है.
बिजली की मांग और उपलब्धता के चलते पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, आन्ध्रप्रदेश जैसे राज्यों में भी बिजली की कमी 30 से 40 प्रतिशत है. इसे देखते हुए गुजरात ने हफ्ते में एक दिन औद्योगिक अवकाश आवश्यक किया है.
12 रूपए प्रति यूनिट से खरीदी बिजली
पावर एक्सचेंज से बिजली के खरीद-बिक्री के लिए केन्द्रीय विद्युत विनियामक आयोग के अधिकतम कीमत 12 रूपए प्रति यूनिट निर्धारित की गई हैं. हर 15 मिनट के ब्लॉक हेतु बिजली की कीमत अलग-अलग होती है. राजस्थान में एक्सचेंज से बिजली खरीदने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन उपलब्धता न होने के चलते खरीद नहीं हो पा रही है. 26 अप्रैल को शाम 7 से 10 बजे के मध्य अधिकतम कीमत 12 रूपए प्रति यूनिट की दर पर भी 1000 मेगावाट की बिड पर मात्र 4 मेगावाट से 34 मेगावाट बिजली ही उपलब्ध हो सकी थी.
इनपुट—पंकज सोनी
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