ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने से पार्टी को राज्यसभा में नई उम्मीद जगी है. बीजेपी को अब उन राज्यों से उम्मीद बढ़ गई है ,जहा भाजपा को सरप्लस वोट है. ऐसा ही एक राज्य हरियाणा है, जहां बीजेपी को लगता है कि दूसरी सीट भी जीती जा सकती है. लिहाजा पार्टी ने यहां रणनीति बनानी शुरू कर दी है.
हरियाणा की 90 सदस्यों की विधानसभा में सरकार के पास 57-58 विधायकों का समर्थन है. इसमें 40 विधायक बीजेपी के और दस जननायक जनता पार्टी के हैं. बाकी निर्दलीय विधायकों का समर्थन है. विधानसभा की गणित के हिसाब से एक सीट जीतने के लिए 31 वोट की जरूरत है.
1-2 कांग्रेस विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की तो..
कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं. अगर सब कुछ ठीक रहा तो बीजेपी और कांग्रेस को एक-एक सीट मिल जाएगी. लेकिन अगर कांग्रेस के एक या दो विधायक ने भी क्रास वोटिंग कर दी तो कांग्रेस का हिसाब बिगड़ जाएगा. बीजेपी की नजर इसी पर है. हरियाणा बीजेपी के एक बड़े नेता ने बताया कि बीजेपी दूसरा उम्मीदवार उतारने या किसी निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन देने पर विचार कर सकती है. अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी दूसरी सीट भी जीत सकती है.
ध्यान रहे बीजेपी के एक सीट जीतने के बाद गठबंधन के पास 27 या 28 वोट बचेंगे. उसे तीन-चार वोट का जुगाड़ करना है. अगर कांग्रेस के एक-दो विधायकों ने भी क्रॉस वोटिंग कर दी, तो बीजेपी समर्थित दूसरा उम्मीदवार दूसरी वरीयता के वोटों से जीत सकता है.
2016 में लगा था कांग्रेस को झटका
गौरतलब है कि 2016 के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे तगड़ा झटका हरियाणा में लगा था. पार्टी के 14 विधायकों ने जानबूझ कर मतपत्र पर गलत निशान लगाया था, जिसके चलते पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार आर. के. आनंद को शिकस्त का सामना करना पड़ा. तब कांग्रेस के14 वोट रद्द होने के बाद मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा ने वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व सांसद आर. के. आनंद को हराया था .
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