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राजस्थान: रकबर खान मॉब लिंचिंग केस में 4 दोषियों को 7 साल की सजा, VHP मेंबर बरी

न्यायालय द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद चारों आरोपियों को पुलिस द्वारा कस्टडी में ले लिया गया.

Published
भारत
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राजस्थान: रकबर खान मॉब लिंचिंग केस में 4 दोषियों को 7 साल की सजा, VHP मेंबर बरी
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राजस्थान (Rajasthan) के अलवर की एक कोर्ट ने रकबर खान मॉब लिंचिंग मामले (Rakbar Khan Mob Lynching Case) में चार आरोपियों को सात साल कैद की सजा सुनाई है. इस मामले में नवल किशोर शर्मा नाम का एक आरोपी विश्व हिंदू परिषद से जुड़ा था, जिसको साक्ष्य के अभाव में अदालत ने बरी कर दिया है. धर्मेंद्र यादव, परमजीत, विजय कुमार और नरेश कुमार को गैर इरादतन हत्या और गलत तरीके से रोकने के आरोप में दोषी ठहराया गया है.

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न्यायालय द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद चारों आरोपियों को पुलिस ने अपनी कस्टडी में ले लिया है. आरोपी परमजीत, नरेश, विजय और धर्मेंद्र को धारा 341 और 304 के पार्ट प्रथम में आरोप सिद्ध आरोप सिद्ध होने पर सात सात की सजा सुनाई हैं.

एडीजे नंबर वन के न्यायाधीश सुनील कुमार गोयल ने फैसला सुनाते हुए धारा 304 पार्ट-1 में चारों आरोपियों को 7-7 साल की सजा और 10-10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है. वहीं धारा 341 में एक-एक माह की सजा और 500 रूपए के अर्थदंड से दंडित किया गया है. दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी इस सजा में जो कस्टडी इन्होंने पहले भुगत ली थी, उसका लाभ मिलेगा.

"हाईकोर्ट में अपील की जाएगी"

इस केस में एडवोकेट अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि इस फैसले से वो खुश तो हैं लेकिन सजा का आदेश पर्याप्त नहीं है. इसलिए अभी फैसले की कॉपी लेने के बाद निर्णय लिया जाएगा. साक्ष्य के अभाव में बरी हुए नवल किशोर के मामले में फैसले वाली कॉपी देखने के बाद तय करेंगे, अगर संतोषजनक हुआ तो सही है नहीं तो हाईकोर्ट में अपील की जाएगी.

मोबाइल पर बातों के आधार पर नवल किशोर को आरोपी बनाया गया था लेकिन कोर्ट ने उस एविडेंस को नहीं माना और उसे संदेह का लाभ दिया.
एडवोकेट अशोक कुमार शर्मा
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आरोपी पक्ष एडवोकेट हेमराज गुप्ता ने कहा कि सभी आरोपियों से धारा 147 और 302 हटा ली गई है और एक को बरी किया गया है. अब धारा 341, 304 पार्ट-1 में फैसला हुआ है. उन्होंने बताया कि इस संबंध में सजा को लेकर हाईकोर्ट में अपील की जाएगी. उन्होंने बताया कि इस संबंध में न्यायिक जांच हुई थी, जिसमें पुलिसकर्मियों को दोषी माना गया था लेकिन अदालत ने एक जांच को नजरअंदाज किया था जबकि हमारे पर हमारी ओर से पत्रावली पेश की गई थी.

इसके अलावा असलम के बयान में भी कोई आरोपी का नाम नहीं था और अभियोजन पक्ष ने जानबूझकर कोर्ट में उस रिपोर्ट को प्रस्तुत नहीं किया. एक व्यक्ति की जो मौत हुई थी पुलिस अभिरक्षा में हुई थी इस संबंध में पुलिस अधीक्षक से लेकर उच्च अधिकारियों तक पुलिस के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लिखा गया था लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.
एडवोकेट हेमराज गुप्ता

बचाव पक्ष के वकील एडवोकेट अशोक शर्मा ने बताया कि इस संबंध में न्यायिक जांच हुई थी लेकिन एडिशनल सीजेएम ने इस मामले में पुलिस को इतना सा दोषी माना कि पुलिस ने मेडिकल हेल्प समय पर उपलब्ध नहीं करवाई.

"उम्रकैद की जगह, 7 सात साल की सजा हुई"

मेव पंचायत के सदर शेर मोहम्मद ने बताया कि एक युवक की हत्या हुई थी लेकिन तकलीफ इस बात की है की धारा 302 से बरी कर दिया गया. उन्होंने यहां तक कहा कि जिस तरह का फैसला आया है, उसमें ऐसा लगता है कि दोनों सरकारी वकीलों ने इसमें सही तरीके से पैरवी नहीं की, जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि उम्रकैद की जगह इन्हें साथ 7 साल की सजा हुई है.

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इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जाएगी. बरी किए गए नवल के खिलाफ अन्य 4 आरोपियों से ज्यादा साक्ष्य होने के बावजूद भी उसको बरी किया गया. यह सबसे बड़ी बात है. सरकार ने बेहतरीन वकील नियुक्त किए लेकिन फैसले से यह बात साबित होता है कि कहीं ना कहीं पैरवी में कमजोरी रही है.
शेर मोहम्मद

129 पन्ने के दस्तावेज में साक्ष्य

'मामले में सरकार की ओर से 67 गवाहों के बयान तथा 129 पेज के दस्तावेज साक्ष्य पेश किए गए. बहुचर्चित इस मॉब लिंचिंग केस में पैरवी के लिए राजस्थान सरकार ने जयपुर हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट नासिर अली नकवी को 2021 में विशिष्ट लोक अभियोजक नियुक्त किया था. इस केस में पुलिस ने परमजीत, धर्मेंद्र व नरेश को गिरफ्तार किया था. बाद में विजय व नवल को गिरफ्तार किया गया था. इस तरह मॉब लिंचिंग में कुल 5 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया था. केस में 67 गवाहों के बयान कराए गए हैं. इनमें कांस्टेबल नरेंद्र सिंह, तत्कालीन रामगढ़ थाना प्रभारी एवं एएसआई मोहन सिंह, रकबर का साथी असलम सहित पांच लोग चश्मदीद गवाह हैं.

129 पेज के दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए हैं. इनमें आरोपियों की मोबाइल की कॉल डीटेल और लोकेशन भी है. पुलिस ने मारपीट में प्रयोग किए गए डंडे भी बरामद किए थे. मेडिकल पोस्टमार्टम में रकबर के शरीर पर 13 चोटों के निशान थे. डॉक्टरों ने उसकी मौत भी चोटों के कारण मानी थी. पुलिस हिरासत में मारपीट के कोई साक्ष्य नहीं मिले है.

हिंदूवादी संगठनों का हंगामा

कोर्ट ने जैसी ही आरोपियों को दोषी करार दिया पुलिस ने अपनी कस्टडी में ले लिया. इसके बाद मौके पर मौजूद हिंदूवादी संगठनों ने इस फैसले को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और माहौल तनावपूर्ण हो गया लेकिन पुलिस ने स्थिति को संभालते हुए सभी को शांत किया. उसके बाद पुलिस और क्यूआरटी टीम चारों आरोपियों को जेल ले गई.

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2018 में क्या हुआ था?

राजस्थान के अलवर जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र ललावंडी गांव में पांच साल पहले गोतस्करी के शक में रकबर की मॉब लिंचिंग में हत्या कर दी गई थी.

रामगढ़ ललावंडी गांव के पास 20-21 जुलाई 2018 की रात को जंगल से पैदल गाय ले जा रहे हरियाणा के कोलगांव निवासी रकबर उर्फ अकबर एवं उसके साथी असलम को लोगों ने घेर कर मारपीट की थी. इस दौरान असलम लोगों से छूटकर भाग गया था और रकबर घायल हो गया था. इसके बाद रामगढ़ सीएचसी ले जाने के दौरान उनकी मौत हो गई थी. बता दें कि रकबर को डंडों और पत्थरों से मारा गया था.

(इनपुट- पंकज सोनी)

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