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Rakesh Tikait पर इंक अटैक, संगठन में टूट, जिलाध्यक्ष पर हमला- कैसे निपटेगा BKU?

Rakesh Tikait और उनके भाई नरेश टिकैत का भारतीय किसान यूनियन में दबदबा क्या अब कम हो जाएगा?

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भारत
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भारतीय किसान यूनियन (BKU) पिछले कई सालों से चर्चा के केंद्र में रही है और उस चर्चा का केंद्र रहे हैं राकेश टिकैत (Rakesh Tikait). लेकिन दिल्ली के बॉर्डर किसान आंदोलन खत्म होने के बाद और पांच राज्यों में परिणाम घोषित होने के बाद से भारतीय किसान यूनियन जरा मुश्किल में नजर आती है. हाल ही में उनके संगठन में टूट हुई, राकेश टिकैत पर इंक फेंकी गई और तिकुनिया कांड के गवाह लखीमपुर खीरी में भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष पर गोली चलाई गई.

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भारतीय किसान यूनियन (BKU) देश में किसानों के सबसे बड़े संगठनों में से एक है और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से इस संगठन को नई ताकत मिली है. साथ ही संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को बड़ी पहचान हासिल हुई है अब देश में ही नहीं विदेशों तक लोग उन्हें पहचानने लगे हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या भारतीय किसान यूनियन में ताजा टूट और बढ़ रही मुश्किलों के बाद संगठन में ऊंट किस करवट बैठेगा.

राकेश टिकैत को जो पहचान मिली है वो उसके सहारे अब पूरे देश में घूम रहे हैं. अलग-अलग प्रदेशों में जाकर किसानों की समस्याओं को उठा रहे हैं. इतना ही नहीं वो देश के हर बड़े मुद्दे पर राय रखते हैं. जैसे हाल ही में जब पंजाबी सिंगर और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसे वाला (Sidhu Moose Wala) की हत्या हुई तो वो उनके पिता से मिलने मूसा गांव पहुंच गए. राकेश टिकैत के अलावा भारतीय किसान यूनियन के अगर किसी नेता का कभी मीडिया या कहीं और जिक्र होता है तो वो उनके बड़े भाई नरेश टिकैत हैं.

ताजा टूट का सबसे बड़ा कारण यही है कि भारतीय किसान यूनियन से अलग होने वाले नेताओं को ये बात खटक रही थी. हालांकि उन्होंने अलग होते वक्त कहा था कि टिकैत बंधु रास्ते से भटक गए हैं और वो किसानों की असली आवाज बनेंगे. लेकिन ये पहली बार नहीं है कि भारतीय किसान यूनियन में फूट पड़ी है इससे पहले भी मोटा-माटी 10 बार भारतीय किसान यूनियन से नेता अलग होते रहे हैं, लेकिन टिकैत परिवार का इस संगठन पर असर कायम रहा. लेकिन इस बार कई मुश्किलों ने संगठन को घेर लिया है. जिनसे निपटना आसान नहीं लगता.

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भारतीय किसान यूनियन के सामने कई मुश्किलें

राकेश टिकैत पर कर्नाटक में एक व्यक्ति ने 31 मई को इंक फेंक दी और मीडिया का माइक उठाकर मारने की भी कोशिश की. जिसके बाद राकेश टिकैत ने कहा कि वो इस तरह के हमलों से डरेंगे नहीं, उनका संघर्ष अंतिम सांस तक जारी रहेगा. इसको लेकर राकेश टिकैत ने सीधे सरकार को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि ये हमला प्रायोजित था. उन्होंने सरकार पर मिलीभगत का आरोप लगाया था.

लखीमपुर जिलाध्यक्ष पर चली गोली

भारतीय किसान यूनियन के लखीमपुर जिलाध्यक्ष दिलबाग सिंह पर 1 जून को गोली चलाई गई. जिस वक्त वो कार में सवार थे तब अज्ञात हलावरों ने उन पर 3 राउंड गोली चलाई. दिलबाग सिंह तिकुनिया कांड में मुख्य गवाह हैं. वही तिकुनिया कांड जिसमें केंद्रीय मंत्री का बेटा आशीष जेल में है. इसके बाद भारतीय किसान यूनियन ने कई जगह प्रदर्शन किये और गोली चलाने वालों के खिलाफ कार्रावाई की मांग की.

भाकियू से टूटकर बना नया संगठन बना रहा नई रणनीति

भारतीय किसान यूनियन से टूटकर गठवाला खाप के राजेंद्र सिंह और भाकियू नेता राजेश चौहान ने नया संगठन बनाने का फैसला किया है उनके साथ कई और किसान नेता भी गए हैं. जो 2023 में प्रयागराज में होने वाले किसान महाकुंभ में अपने संगठन का बिगुल फूंकेंगे. हालांकि उनका भी कहना है कि वो बाबा टिकैक के नक्शेकदम पर चलेंगे. जिन्हें राकेश टिकैत और नरेश टिकैत भूल गए हैं.

चुनाव में रणनीतिक हार!

राकेश टिकैत और नरेश टिकैत ने भले ही उत्तर प्रदेश चुनाव में किसी पार्टी का खुलकर समर्थन नहीं किया हो लेकिन उनके समर्थकों में आरएलडी लेकर सॉफ्ट कॉर्नर साफ दिखता था और कई बार जयंत चौधरी उनके मंच पर भी नजर आये. इसके अलावा राकेश टिकैत खुलकर कहते थे कि बीजेपी को वोट देने से वो मना करेंगे लेकिन किसे वोट देना है ये नहीं बताएंगे. लेकिन उत्तर प्रदेश चुनाव में बीजेपी ने फिर से बंपर जीत हासिल की.

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गठवाला खाप का कितना असर?

जो भारतीय किसान यूनियन या उत्तर भारत के किसी भी किसान संगठन को करीब से जानते हैं वो ये समझते होंगे कि किसानों के बीच खाप का क्या मतलब और महत्व है. जैसे टिकैत बंदू सबसे बड़ी खाप मानी जाने वाली बालियान खाप के प्रधान हैं. वैसे ही भारतीय किसान यूनियन से अलग होने वाले राजेंद्र सिंह गठवाला खाप के चौधरी हैं.

गठवाला खाप का महेंद्र सिंह टिकैत के समय से ही टिकैत परिवार से कोई मधुर संबंध नहीं रहे. किसान आंदोलन के वक्त भी गठवाला खाप को लेकर कई तरह के सवाल थे और ये खाप कई बार भाकियू का विरोध करती दिखी लेकिन क्योंकि आंदोलन बड़ा था तो विवाद होकर भी दबता रहा. हां राजेश चौहान भाकियू में लंबे समय से रहे हैं जो परेशानी का सबब बन सकते हैं. टिकैत परिवार से गठवाला खाप के मुखिया के संबंधों का अंदाजा इस बात से लगाइए कि जब किसान आंदोलन के वक्त सभी खापों को एकजुट करने की कवायद चल रही थी.

तब राजेंद्र मलिक ने कहा था कि भाकियू के संस्थापक महेंद्र सिंह टिकैत ने गठवाला खाप पर विवादित बयान दिया था, जिसके बाद गठवाला खाप ने फैसला किया था कि भाकियू के किसी भी आंदोलन का साथ नहीं देंगे. गठवाला खाप का असर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई गांवो में है लेकिन बालियान खाप के मुकाबले ये खाप काफी छोटी है.
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36 साल में 11 बार टूटी भारतीय किसान यूनियन

भारतीय किसान यूनियन के गठन के साथ ही उसमें टूट का इतिहास भी जुड़ गया था. 17 अक्टूबर 1986 में भारतीय किसान यूनियन की नींव रखी गई थी. और बालियान खाप के चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को संगठन का अध्यक्ष बनाया गया था.

भारतीय किसान यूनियन में पहली टूट की कहानी

दरअसल महेंद्र सिंह टिकैत ने 1987 में शामली के खेड़ी करमू बिजली घर का घेराव किया था. जिसमें गठवाला खाप, बालियान खाप, देश खाप और कई मुस्लिम किसान संगठनों ने शिरकत की थी. इसमें किसानों और पुलिस के बीच टकराव हुआ और दो किसानों की मौत हो गई. इस आंदोलन के बाद महेंद्र सिंह टिकैत की पहचान बनी और तभी उनका देश खाप के चौधरी सुखबीर सिंह से कुछ विवाद हो गया. जिसके बाद सुखबीर सिंह ने भाकियू से अलग होकर अपना संगठन बना लिया.

इसके बाद 1988 में बोट क्लब धरने के बाद हरपाल बिलारी ने महेंद्र सिंह टिकैत का साथ छोड़कर अलग संगठन बनाया. किसी जमाने में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष रहे भानूप्रताप सिंह ने अपना अलग संगठन बनाया. इसके अलावा भी अलग-अलग वक्त में भारतीय किसान यूनियन से अलग होकर संगठन बनते रहे हैं. लेकिन टिकैत परिवार का दबदबा भारतीय किसान यूनियन पर कायम है.

भारतीय किसान यूनियन से अलग होकर बने संगठनों के नाम

  • भाकियू (भानु), अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह

  • भाकियू (अंबावता), अध्यक्ष ऋषिपाल अंबावता

  • भाकियू (तोमर), अध्यक्ष संजीव तोमर

  • राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन, अध्यक्ष चौधरी हरिकिशन मलिक

  • भारतीय किसान मजदूर मंच, अध्यक्ष गुलाम मोहम्मद जौला

  • भारतीय किसान यूनियन (सर्व) अध्यक्ष राजकिशोर पिन्ना

  • भारतीय किसान संगठन, अध्यक्ष ठाकुर पूरन सिंह

  • राष्ट्रीय किसान यूनियन, अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह प्रमुख

  • आम किसान संगठन, अध्यक्ष किशन सिह मलिक

  • भाकियू अराजनैतिक, अध्यक्ष राजेश चौहान (नया बना संगठन)

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इतनी बार संगठन में फूट के बाद भी टिकैत परिवार का दबदबा कैसे?

भारतीय किसान यूनियन में इतनी बार फूट पड़ने के बाद भी टिकैत परिवार का संगठन पर दबदबा और देश के किसानों पर भारतीय किसान यूनियन का इतना असर कैसे है. दरअसल नरेश टिकैत बालियान खाप के प्रमुख हैं जो जाटों की सबसे बड़ी खाप मानी जाती है. बालियान खाप पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा और राजस्थान तक में दबदबा रखती है. इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन का संगठन बड़ा ग्राउंड पर काफी मजबूत है जो हर छोटे-बड़े आंदोलन में सक्रिय रहता है.

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