राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 10 जनवरी तक टल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या जमीन विवाद मामले पर 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई नई बेंच करेगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजय कृष्ण कौल की पीठ ने कहा कि अगले आदेश 10 जनवरी को गठित होने वाली बेंच जारी करेगी.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में विवादित अयोध्या जमीन को राम लला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड तीनों पक्षों में बराबर बांटने का फैसला सुनाया था. जिसके बाद तीनों ही पक्षों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
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सुनवाई के दौरान क्या हुआ कोर्ट में?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए शुक्रवार को कहा कि उसके द्वारा गठित एक उपयुक्त बेंच राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना विवाद मामले की सुनवाई की तारीख तय करने के लिए 10 जनवरी को आदेश देगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एस के कौल की बेंच ने कहा,
इस मामले की सुनवाई के लिए एक रेग्युलर बेंच बनेगी, जो 10 जनवरी को इस मामले में आगे के आदेश परित करेगी.
अलग-अलग पक्षों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरिश साल्वे और राजीव धवन को अपनी बात रखने का कोई मौका नहीं मिला. मामले की सुनवाई 60 सेंकेंड भी नहीं चली.
रोजाना सुनवाई की याचिका खारिज
वहीं इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मामले पर रोजाना सुनवाई के लिए ऐडवोकेट हरिनाथ राम की जनहित याचिका को भी खारिज कर दिया. इस दौरान किसी पक्ष की तरफ से कोई दलील नहीं दी गई.
क्यों नए बेंच की बात करनी पड़ी कोर्ट को?
जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद इस मामले में सुनवाई के लिए कोई खास बेंच नहीं थी. इसलिए नए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए एक रेग्युलर बेंच बनेगी, जो 10 जनवरी को इस मामले में आगे के आदेश परित करेगी.
बता दें कि इससे पहले इस मामले की सुनवाई तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच कर रही थी. रिटायरमेंट से पहले चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने इस मामले पर एक फैसले में कहा था कि यह मामला जमीन विवाद का है और इसे संवैधानिक बेंच को रेफर नहीं किया जाएगा.
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