कर्नाटक की सियासत को लेकर शुरू हुए हाई वोल्टेज ड्रामे का फिलहाल कोई अंत होता नहीं दिख रहा है. पहले राज्यपाल ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया और फिर कांग्रेस राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. रात में सुप्रीम कोर्ट खुली, सुनवाई हुई. लेकिन फैसला बीजेपी के पक्ष में ही रहा. सुप्रीम कोर्ट ने बीएस येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. फिलहाल, येदियुरप्पा ने सीएम पद की शपथ तो ले ली है, लेकिन अब सीनियर वकील रामजेठमलानी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं.
कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में रात 1:45 पर सुनवाई शुरू हुई जो सुबह 5 बजे तक चली. अब वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी भी गवर्नर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पर पहुंच गए हैं.
गुरुवार को राम जेठमलानी ने सुप्रीम कोर्ट में गवर्नर वाजुभाई वाला के पहले येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्यौता देने के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की. जेठमलानी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि गवर्नर का BJP को पहला मौका देने का फैसला असंवैधानिक और ताकत का गलत इस्तेमाल है. उन्होंने ये भी साफ किया कि ये उनकी व्यक्तिगत याचिका है, और वो किसी पार्टी या व्यक्ति का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं. लेकिन उन्होंने ये कदम इसलिए उठाया क्योंकि राज्यपाल का फैसला असंवैधानिक है.
देखिए क्या कहना है राम जेठमलानी का
गवर्नर का आदेश संवैधानिक ताकत का एक गंभीर दुरुपयोग है और इससे संवैधानिक कार्यालय अपमानित हुआ हैराम जेठमलानी, वरिष्ठ वकील
CJI दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने जेठमलानी की याचिका को उन्हीं तीन जजों के पास सुनवाई के लिए भेजा है, जिन्होंने बुधवार रात कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई की थी. बेंच शुक्रवार को एक बार फिर सुनवाई के लिए बैठेगी, जिसमें जेठमलानी की याचिका पर भी सुनवाई की जाएगी.
तीन जजों में जस्टिस ए के सिकरी, जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं, जिन्होंने येदियुरप्पा का शपथ ग्रहण ना रोकने का फैसला दिया था.
विरोध के बावजूद येदियुरप्पा बने CM
बीएस येदियुरप्पा ने सीएम पद की शपथ ले ली है. येदियुरप्पा तीसरी बार कर्नाटक के सीएम बने हैं. सुप्रीम कोर्ट में रात 1.45 बजे से लेकर करीब 5 बजे तक चली बहस में कोर्ट ने शपथग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. इससे पहले कांग्रेस और जेडीएस ने कर्नाटक के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें उनकी मांग थी कि बहुमत साबित होने तक येदियुरप्पा का शपथ ग्रहण रोका जाए, लेकिन लंबी बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रोक से इनकार कर दिया.
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