जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी है. इससे पहले पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था लेकिन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आनन-फानन में राज्य विधानसभा को भंग कर दिया.
ऐसे में पीडीपी-कांग्रेस और एनसी मिलकर राज्यपाल के इस कदम की आलोचना कर रहे हैं. बीजेपी के महासचिव राम माधव ने ऐसे में इस मुद्दे से जुड़ा एक अलग ही बयान दे दिया है. राम माधव का कहना है कि विपक्ष पाकिस्तान के इशारे पर एकजुट हुआ है, ऐसे में राज्यपाल ने जो भी कुछ किया वो जनता की भलाई के लिए किया. राम माधव बोले कि पहले तो खुद पीडीपी विधानसभा भंग कराना चाहते थे, लेकिन अब उन्हें दिक्कत हो रही है.
पिछले महीने पीडीपी और एनसी ने लोकल बॉडी चुनावों में भाग नहीं लिया क्योंकि उनके बॉर्डर के पार से सुझाव मिल रहे थे. और अब उन्हें फिर से बॉर्डर पार से इशारा मिला है कि वो एक हो जाएं और सरकार बना लें.जम्मू और कश्मीर विधानसभा भंग होने पर राम माधव का बयान
या तो आरोप साबित करो या माफी मांगो: उमर अब्दुल्ला
नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया उमर अब्दुल्ला ने राम माधव के इस बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा है कि ' मैं तुम्हें चैलेंज करता हूं राम माधव कि तुम अपने आरोपों को साबित करो. रॉ, आईबी और एनआईए सबकुछ तो तुम्हारे पास है तो इतनी हिम्मत दिखाओ कि पब्लिक के सामने सबूत रख पाओ. या तो आरोप साबित करो या फिर माफी मांगो. शूट और स्कूट राजनीति मत करो. '
राज्यपाल ने बताईं विधानसभा भंग करने की वजहें
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग करने पर अपना रुख स्पष्ट किया है. राज्यपाल ने कहा है कि चार अहम कारणों की वजह से उन्होंने तत्काल प्रभाव से विधानसभा भंग करने का निर्णय लिया.
- विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ आने से स्थायी सरकार बनना असंभव है. इनमें से कुछ पार्टियों तो विधानसभा भंग करने की मांग भी करती थीं. इसके अलावा पिछले कुछ साल का अनुभव यह बताता है कि खंडित जनादेश से स्थायी सरकार बनाना संभव नहीं है. ऐसी पार्टियों का साथ आना जिम्मेदार सरकार बनाने की बजाय सत्ता हासिल करने का प्रयास है.
- व्यापक खरीद फरोख्त होने और सरकार बनाने के लिए बेहद अलग राजनीतिक विचारधाराओं के विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए धन के लेन देन होने की आशंका की रिपोर्टें हैं. ऐसी गतिविधियां लोकतंत्र के लिए हानिकारक हैं और राजनीतिक प्रक्रिया को दूषित करती हैं.
- बहुमत के लिए अलग-अलग दावे हैं. ऐसी व्यवस्था की उम्र कितनी लंबी होगी इस पर भी संदेह है.
- जम्मू कश्मीर की नाजुक सुरक्षा व्यवस्था, जहां सुरक्षाबलों के लिए स्थायी और सहयोगात्मक माहौल की जरूरत है. ये सुरक्षाबल आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगे हुए हैं और आखिरकार सुरक्षा स्थिति पर नियंत्रण पा रहे हैं.
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