जानिए इन बड़े सवालों के जवाब, जो इस वक्त पूरे यूरोप में चर्चा का विषय बने हुए हैं...
- क्या है ब्रिटेन में जारी ब्रेग्जिट ?
- क्या है 28 देशों का संगठन यूरोपियन यूनियन?
- ब्रेग्जिट का आखिर भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
- ब्रेग्जिट का क्या यूरोपियन यूनियन पर भी दिखेगा प्रभाव?
28 देशों से बने यूरोपियन यूनियन पर एकजुटता को लेकर खतरा बढ़ गया है. समूह के प्रमुख सदस्य ब्रिटेन, यूरोपियन यूनियन में बने रहने या छोड़ने के सवाल पर जनमत संग्रह करवा रहा है. और 23 जून को ये जनमत संग्रह होना है जिसमें ब्रेग्जिटसमर्थक और इसके विरोधी वोटिंग करेंगे.
क्या है ब्रेग्जिट?
ब्रेग्जिट अंग्रेजी के ब्रिटेन+एक्जिट का संक्षिप्त रुप है. मतलब ब्रिटेन का यूनियन से बाहर आना. दरअसल इस मुहिम के तहत ये बहस चल रही है कि ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन(EU) से बाहर हो या नहीं.
EU से ब्रिटेन को बाहर करने की बहस क्यों छिड़ी?
इनका तर्क है कि ब्रिटेन ने यूरोपियन यूनियन में अपनी पहचान और संप्रभुता खो दी है. ब्रिटेन का दुनिया में खोया हुआ रुतबा वापिस दिलाने के लिए इनके समर्थक EU से अलग होना चाहते हैं.
ये लोग प्रवासियों का भी विरोध कर रहे हैं. 2008 में आई मंदी के बाद से इनका विरोध और तेज हो गया. इनका एक तर्क यह भी है कि, ब्रिटेन को लगभग 9 अरब डॉलर जो यूरोपियन यूनियन के बजट में देने पड़ते हैं, यूनियन छोड़ने से उससे भी निजात मिलेगी.
क्यों हो रहा है ब्रेग्जिट का विरोध?
वहीं यूरोपियन यूनियन में बने रहने का समर्थन और ब्रेग्जिट का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि यूनियन छोड़ने से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.
इन लोगों का मानना है अर्थव्यवस्था पर प्रभाव प्रवासी और अन्य मुद्दों से बड़ा मुद्दा है. इनका कहना है कि ब्रेग्जिट की स्थिति मे स्कॉटलैंड के लोग ब्रिटेन से अलग होने के लिए दोबारा जनमत संग्रह की मांग कर सकते हैं.
गौरतलब है स्कॉटलैंड में यूरोपीय यूनियन में बने रहने का दबाव अधिक है, और वहां के लोग अलग देश बनाकर यूरोपीय यूनियन में शामिल होना चाहेंगे.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और दोनों बड़ी पार्टियों (कंजर्वेटिव पार्टी और लेबर पार्टी) के बड़े नेता यूरोपियन यूनियन में बने रहने के पक्ष में हैं. पिछले दिनों सांसद जो काॅक्स की हत्या का भी इस पर प्रभाव पड़ने के आसार हैं.
ब्रेग्जिट का भारत पर भी दिखेगा कोई प्रभाव?
ब्रिटेन में अस्थिरता का भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. वहीं बहुत सारी बड़ी भारतीय कंपनियां जिन्होंने ब्रिटेन में बड़े पैमाने पर निवेश किए हैं, उनका नुकसान होने का संदेह भी है.
ये कंपनियां ब्रिटेन को बेस बना कर मुक्त यूरोपीयन यूनियन के बाजार में व्यापार करती थीं. ब्रेग्जिट की स्थिति में इनके पास अब यह सुविधा नहीं होगी.
इन कंपनियों में बड़ी-बड़ी आईटी कंपनियां भी शामिल हैं. वहीं इन सब का प्रभाव भारत के शेयर बाजार पर भी पड़ेगा जिसमें गिरावट की आशंका आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने जताई है. हाल में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बढ़ाए गए एफडीआई कैप को ब्रेग्जिट से ही जोड़कर सुधार की दिशा में देखा जा रहा है.
क्या है यूरोपियन यूनियन?
- यूरोपियन यूनियन यूरोप के 28 देशों का संगठन है.
- मुक्त व्यापार, अर्थव्यवस्था, तकनीकी, विवाद और तमाम क्षेत्रों में यह अपने सदस्य देशों के बीच समन्वय और रेगुलेशन का काम करता है. इसके सभी सदस्य देशों की एक ही मुद्रा है.
- इसके अपने कोर्ट, पार्लियामेंट, ऊर्जा संस्थान, अंतर्राष्ट्रीय स्पेस एजेंसी और अन्य संस्थान हैं जो देशों के देश के रुप में काम करते हैं.
- यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. यूनियन की शुरुआत 1957 में बनी यूरोपियन ईकोनॉमिक कम्यूनिटी से मानी जाती है.
- 1957 में 6 देशों की रोम संधि से यूरोपियन कम्यूनिटी की शुरुआत हुई थी. समय के साथ इसमें कई यूरोपीय देश जुड़ते गए.
ब्रिटेन इसका सदस्य 1973 में बना था. 1975 में भी ब्रिटेन में आज की तरह यूनियन की सदस्यता पर जनमत संग्रह हुआ था. इसमें 67 फीसदी लोगों ने यूनियन में बने रहने के पक्ष में मतदान किया था.
ब्रेग्जिट का यूरोपियन यूनियन पर प्रभाव
इस समय जर्मनी यूरोपीय यूनियन का सबसे ताकतवर देश है यदि ब्रिटेन यूनियन से बाहर जाता है तो उसकी ताकत में और इजाफा हो जाएगा.
वहीं इससे यूरोपीय यूनियन की शक्ति भी दुनिया में कम होने के आसार हैं. ब्रिटेन की देखा-देखी कई देशों जैसे डेनमार्क, फ्रांस भी अलग रास्ता चुन सकते हैं. ऐसे में यूनियन के भविष्य पर ही सवालिया निशान खड़े होने का खतरा यहां पर बन जाता है.
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