2002 के गुजरात दंगों (Gujrat Riots) और 1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच करने वाले आयोग का नेतृत्व करने वाले रिटायर्ड जज जीटी नानावती (G T Nanawati) का शनिवार सुबह अहमदाबाद स्थित उनके घर पर 86 साल की उम्र में निधन हो गया.
जस्टिट नानावती को गुजरात दंगों और सिख विरोधी दंगों की जांच करने की जिम्मेदारी दी गई थी.
गुजरात दंगे
नानावती को गोधरा ट्रेन जलने और उसके बाद के दंगों की जांच के लिए नियुक्त किया गया था. जज नानावती के आयोग ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मंत्रिपरिषद, बीजेपी, विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के साथ-साथ पुलिस को भी 2019 में आई फाइनल रिपोर्ट में क्लीन चिट दे दी थी. दंगों के बाद गुजरात में लगभग 1200 लोग मारे गए थे.
आयोग ने अपनी सुनवाई के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को तलब नहीं किया था.
सिख विरोधी दंगे
1984 में सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए बनाए गए आयोग का नेतृत्व भी जस्टिस नानावती ने किया था.
नानावती आयोग ने अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें, FIR दर्ज होने के बावजूद सज्जन कुमार को बाद में दोषी न ठहराने की बात का जिक्र था. दिलचस्प है कि जिस न्यायाधीश ने 1984 के दंगों की दोबारा जांच की, उन्होंने ही 2002 के गुजरात दंगों की भी जांच की थी.
जस्टिस नानावती को जानिए
जस्टिस नानावती ने 1958 में बॉम्बे हाईकोर्ट में एक वकील के रूप में नामांकन किया और सरकारी वकील के पैनल में बने रहे.
जुलाई 1979 से उन्हें गुजरात हाईकोर्ट में स्थायी जज के रूप में नियुक्त किया गया और 1993 में उड़ीसा हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया.
बता दें कि जनवरी 1994 में नानावती उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे और सितंबर 1994 में कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में ट्रांसफर कर दिए गए.
बाद में उन्हें मार्च 1995 में भारत के सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया गया और सन 2000 में एक जज के रूप में रिटायर हुए.
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