जीएसटी से होने वाला रेवेन्यू कलेक्शन अगले वित्त वर्ष के आखिर तक एक लाख करोड़ रुपये मासिक होने की संभावना है. वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि टैक्स चोरी रोकने के कई उपायों के लागू होने के बाद जीएसटी से होने वाला रेवेन्यू कलेक्शन में इजाफा होगा.
जीएसटी के तहत रेवेन्यू कलेक्शन में जनवरी के दौरान पिछले दो महीनों के मुकाबले बढ़ोतरी दर्ज की गई. यह जानकारी वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने लोकसभा को एक लिखित जवाब में दी.
सरकार टैक्स आंकड़ों का मिलान और ई-वे बिल जैसी पहल कर रही है ताकि किसी भी तरह की टैक्स-चोरी को रोका जा सके. अधिकारियों के मुताबिक जीएसटी रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया पूरी तरह स्थिर होने के बाद विश्लेषण व जोखिम प्रबंधन महानिदेशालय (डीजीएआरएम) जोर शोर से काम करना शुरू कर देगा. ताकि जीएसटी दाखिल करने वाले लोगों के दिए गए आंकड़ों का उनके आईटीआर से मिलान किया जा सके. सरकार ने एक अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2018-19 में जीएसटी से 7.44 लाख करोड़ रुपये मिलने का बजटीय अनुमान लगाया है.
- मौजूदा वित्त वर्ष आठ महीनों जुलाई-फरवरी में अनुमानित कलेक्शन 4.44 लाख करोड़ रुपये रहा.
- मार्च कलेक्शन अप्रैल में आएगा जो कि नये वित्त वर्ष 2018-19 की शुरुआत होगी.
अधिकारियों का कहना है कि अगले वित्त वर्ष के लिए राजस्व अनुमान काफी सतर्कता से लगाए गए हैं और सरकार के उठाए गए प्रवर्तन कदमों के आधार पर ये अधिक भी रह सकते हैं. जीएसटी 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया.
सरकार की ओर से संसद को बताए गए आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी में जीएसटी कलेक्शन 88,929 करोड़ रुपये हुआ जबकि दिसंबर 2017 में 83,716 करोड़ रुपये और नवंबर 2017 में 85,931 करोड़ रुपये कलेक्ट किए गए थे.
नवंबर में अक्टूबर के मुकाबले 10 फीसदी की कमी दर्ज की गई थी. जीएसटी कलेक्शन अक्टूबर में 95,132 करोड़ रुपये था, जोकि जीएसटी लागू होने के बाद सबसे अधिक है.
दिसंबर 2017 तक 98 लाख कारोबारी इकाइयों ने जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन करवाया. अधिकारी ने कहा, ‘हम जल्द ही जीएसटी रिटर्न में दिखाए गए कारोबार का आयकर विभाग के यहां दाखिल आयकर रिटर्न से मिलान शुरू करेंगे. ये काम अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में शुरू होगा.' उन्होंने कहा कि एक बार ये पहलें लागू होने के बाद जीएसटी राजस्व औसत एक लाख करोड़ रुपये मासिक हो ही जाएगा.
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