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गोसेवा करने वाले कैदियों में आपराधिक प्रवृत्ति कम होती है: भागवत

भागवत ने कहा कि अगर गायों के गुणों को दुनिया के सामने लाना है तो हमें दस्तावेज बनाने होंगे

Published
भारत
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि कैदियों को जब गायों की देखभाल का काम दिया जाता है, तब उनकी आपराधिक प्रवृत्ति में कमी आती है. 7 दिसंबर को पुणे में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने ये बात कही.

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भागवत ने गो-विज्ञान संशोधन संस्था के एक पुरस्कार समारोह में कहा कि गाय की खूबियों को दुनिया को दिखाने के लिए इस प्रकार के निष्कर्षों को दर्ज करना जरूरी है.

संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘गाय ब्रह्माण्ड की मां है. वो मिट्टी, पशु, पक्षी और मनुष्य को भी पोषित करती है और उन्हें रोगों से बचाती है और मानव हृदय को फूल की तरह कोमल बनाती है.’’

जब जेल में गोशाला बनाई गई और कैदियों ने गाय की सेवा करनी शुरू की, तब अधिकारियों ने उन कैदियों की आपराधिक प्रवृत्ति में कमी आते हुए देखा. मैं आपको यह बात कुछ जेल अधिकारियों के साझा किए अनुभवों के आधार पर बता रहा हूं.
मोहन भागवत

भागवत ने कहा कि अगर गायों के गुणों को दुनिया के सामने लाना है, तो हमें दस्तावेज बनाने होंगे. उनका कहना है कि कैदियों पर मनोवैज्ञानिक प्रयोग करने होंगे और फिर कुछ समय तक गोसेवा के बाद उनमें आए बदलावों की समीक्षा करनी होगी.

“जो संगठन खुली घूमती गायों को आश्रय देते हैं उनके पास जगह की कमी होती जा रही है. समाज में अगर हर व्यक्ति एक गाय को पालने का निर्णय कर ले तो यह समस्या सुलझ जाएगी और गाय बूचड़खाने में जाने से बच जाएंगी.”
मोहन भागवत

हालांकि भागवत ने कहा कि आज हिन्दू ही हैं, जो गायों को बूचड़खाने भेज रहे हैं.

(सोर्स: भाषा)

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