नूरुल्लाह ने आत्महत्या क्यों की ?
नूरुल्लाह ? कौन नूरुल्लाह ?
वही जिस ने सलमान खान की एसयूवी के नीचे आकर जान दे दी. जान दे दी ? यानी आत्महत्या ?
हां , जी हां.
हमारे देश में गरीब को कोई मारता थोड़े ही न है. वो जब सड़क पर मरता है तो आत्महत्या ही करता है.
अरे, क्या कह रहे हो, भाई ?
बाकायदा एक्सीडेंट हुआ था. रिपोर्ट दर्ज हुई थी. सलमान दारू पिये था. नशे में धुत्त, फुटपाथ पर सोये लोगों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी थी बांद्रा बेकरी के सामने.
रिपोर्ट से क्या होता है ?
जांच तो पुलिस ही करती है न !
क्या मतलब ? कानून है या नहीं ? जांच हुई होगी.
सलमान की भी डाक्टरी जांच हुई होगी कि उसके खून में कितनी शराब मिली हुई है. साथ बैठे बॉडीगार्ड का, साथी का बयान हुआ होगा ?
सब कुछ हुआ, लेकिन पैसे और रसूख की बाढ़ में सब कुछ बह गया. बह गया ?
बह गया, यानी ?
यानी अदालत ने सलमान के बॉडीगार्ड रवीन्द्र पाटिल का बयान माना ही नहीं कि गाड़ी सलमान खान ही चला रहा था, उसने शराब पी रखी थी और एक्सीडेंट भी उसी ने किया. वो क्यों ?
वो बयान तो मजिस्ट्रेट के सामने हुआ था ?
यहीं तो कानूनी लोचा है ! मेजिस्ट्रेट के सामने हुआ तो क्या हुआ ?
जिस धारा के तहत होना था उसके तहत नहीं हुआ ! जिस आरोप पर होना था उस पर नहीं हुआ ?
अरे तो क्या हुआ ?
सच तो सच ही रहेगा न कि सलमान दारू पीकर गाड़ी चला रहा था !
अरे चलो, बड़े आए, सच बताने वाले. कानून अंधा होता है ! उसे सब कुछ साफ-साफ दिखता है !
क्या बोल रहे हो भाई, अरे, याद नहीं है क्या ?
निचली अदालत ने तो सलमान पर लगे आठों आरोपों को सही मानते हुए पांच साल की सजा तक सुना दी थी.
हां, ये अलग बात है कि उसका वकील हरीश साल्वे उसे जेल जाने से पहले ही कुछ घंटों के अंदर ही बेल दिलाकर छुड़ा ले गया था.
अरे मियां , सारा खेल वहीं तो समझ में आ गया था ! लेकिन वो निचली अदालत ? बल्ड्डी डाउन मार्केट.
स्टार है स्टार अपना बजरंगी भाई !
पुलिस वाले उसे अंदर करेंगे या बचाएंगे ?
सब सुबूतों की ऐसी-तैसी कर दी.
ले लो ठेंगा !
बस फ़ैसला हो गया ! सीधे हाईकोर्ट से !
न सलमान दारू पिये था न ही वो गाड़ी चला रहा था.
अब आएगा असली कानून, जो सिर्फ गरीबों पर चलता है.
उल्टा मुकदमा करो उस नूरुल्लाह पर ?
हैं ! नूरुल्लाह तो मर गया , कैसा मुकदमा ?
मर नहीं गया, उसने आत्महत्या की, सलमान भाई की गाड़ी के सामने कूदकर. वो गाड़ी जिस में सलमान भाई सवारी कर रहे थे.
तो गाड़ी चला कौन रहा था ? क्या फर्क पड़ता है. मुद्दे की बात करो, मुद्दे की.
क्या समझते हैं इस देश के गरीब अपने आप को ?
सड़क उनके बाप की है जो सोने के लिए इस्तेमाल करेंगे.
पुलिस अब साबित करेगी कि नूरुल्लाह सो ही नहीं रहा था. वो तो गरीबी भुखमरी से तंग आकर जान देना चाहता था.
रात के अंधेरे में तेज़ गाड़ी को आता देख वो खुद उसके आगे कूद गया.
अरे, क्या क्या बोले जा रहे हो भाई ? नूरुल्लाह के साथ चार और लोग जख्मी हुए थे. शेख अबदुल्ला, मन्नू खान...
अरे क्या खान खान लगा रखा है ?
सब साले गरीब चोट्टे थे. साथ में मरने का पेक्ट साइन किया था सब ने. सुसाइड पेक्ट !
सब सालों के ऊपर मुकदमा चलना चाहिये.
कम से कम तेरह साल जेल में सड़ना चाहिए इन नाली के कीड़ों को.
इनके कारण खाम्खाह भाई को तेरह साल स्ट्रेस में रहना पड़ा.
अरे इसी स्ट्रेस के कारण ही तो भाईजान ने कई हीरोइनों से बदतमीज़ी कर दी, गर्लफ्रेंडों पर हाथ उठा दिया.
बेचारा, क्या नहीं गुजरी बजरंगी भाईजान पर ?
सुभाष घई सच ही तो कहते हैं, इस केस ने ज़िंदगी बर्बाद कर दी भाई की.
अब वो घर बसाएंगे. नया जीवन शुरू करेंगे.
तो इस केस का क्या होगा ? अभी तो सुप्रीम कोर्ट बाकी है ?
क्या केस केस लगा रखा है.
बड़ा रसूख है भाई और उनके पिता सलीम का इस सरकार पर.
मुकदमा भी चलेगा.
नूरुल्लाह और उसके साथियों के आत्महत्या करने की कोशिश करने का.
नूरुल्लाह तो मर गया लेकिन अंदर होंगे वो चारों गरीब जो एक्सीडेंट में बच गये.
साले आत्महत्या करने चले थे. बच गये तो सोचा भाई को फंसा दें.
भाई है भाई.
उसका पुलिस, कानून, कोर्ट कुछ नहीं उखाड़ सकते.
समझे.
समझ गये, भाई .
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