भारतीय जनता पार्टी के ‘संपर्क फॉर समर्थन’ अभियान के तहत पार्टी अध्यक्ष अमित शाह आज मुंबई में हैं. इस कार्यक्रम की तहत अमित शाह मुंबई में बॉलीवुड एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित के घर जाकर उनसे मिले. शाह के साथ महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस भी थे.
अमित शाह को स्वर कोकिला लता मंगेशवर से भी मिलना था, लेकिन लता दी ने ऐन वक्त पर अमित शाह को फोन करके सेहत ठीक न होने की बात कही और मीटिंग कैंसिल कर दी.
रतन टाटा से भी मुलाकात
इसके अलावा अमित शाह ने बिजनेसमैन रतन टाटा से भी मुलाकात की. इस मौके पर उनके साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस भी मौजूद रहे.
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क्या है "संपर्क फॉर समर्थन"
बीजेपी नरेंद्र मोदी सरकार के चार साल पूरे होने पर सरकार की उपलब्धियों को बताने के लिए "संपर्क फॉर समर्थन" कार्यक्रम चला रही है. जिसकी कमान खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने हाथों में ले रखी है. शाह ने पूर्व सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग से मिलकर कार्यक्रम की शुरुआत की थी. उन्होंने सुहाग को मोदी सरकार के उपलब्धियों से संबंधित कुछ बुकलेट भी भेंट की थी.
इस कार्यक्रम के अंतर्गत मोदी सरकार की उपलब्धियों की जानकारी देने के लिए अमित शाह 50 नामचीन व्यक्तियों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करने का प्लान है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री समेत पार्टी के 4000 वरिष्ठ कार्यकर्ता मोदी सरकार की उपलब्धियों को बताने के लिए 1 लाख से ज्यादा प्रसिद्ध लोगों से मुलाकात करेंगे.
यहअभियान पार्टी की 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले अधिकतम लोगों तक पहुंच बनाने के प्रयास का हिस्सा है.
अमित शाह और उद्धव ठाकरे की मुलाकात पर नजर
वहीं देशभर में हुए उपचुनावों में हार का सामना करने और एकजुट होते विपक्ष को देखते हुए बीजेपी अब रूठे हुए सहयोगियों को मनाने में लग गई है. एेसे में अमित शाह के मुंबई दौरे को भी इसी नजर से देखा जा रहा है.
अमित शाह शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात करेंगे. लेकिन अबतक ये साफ नहीं हुआ है कि अमित शाह की ये मुलाकात संपर्क फॉर समर्थन कार्यक्रम के तहत है या नहीं. क्योंकि अमित शाह के अधिकारिक दौरे में उद्धव ठाकरे का नाम नहीं है.
वहीं शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में आज बीजेपी के संपर्क फॉर समर्थन की खिल्ली उड़ाई गई है.
उद्धव ठाकरे ने अपने लेख में लिखा है,
एनडीए के सभी पक्षों से अमित शाह क्यों मिल रहे हैं? कई जगहों पर उपचुनाव हारने के बाद ही क्यों? इस संपर्क अभियान के जरिए बीजेपी सभी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की कोशिश तो कर सकती है, लेकिन वास्तव में सरकार और जनता के बीच का संपर्क टूट चुका है.
बता दें कि शिवसेना एनडीए का हिस्सा है, लेकिन वह साफतौर पर साल 2019 के आम चुनावों में एनडीए से अलग होकर चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर चुकी है. हाल ही में महाराष्ट्र की दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भी शिवसेना ने बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ा था.
एेसे में अब देखना ये है कि क्या इस मुलाकात से बीजेपी अपने रूठे साथी को मनाने में कामयाब होगी?
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