केंद्र सरकार की आपत्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने 5 जजों की नियुक्ति के संबंध में की गई सिफारिशों को दोहराया है. कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज के रूप में नियुक्ति के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल; बंबई हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अधिवक्ता सोमशेखर सुंदरेसन; मद्रास हाई कोर्ट के लिए अधिवक्ता आर जॉन सत्यन; कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शाक्य सेन और अमितेश बनर्जी के नाम की सिफारिश की है. जिसके बाद केंद्र सरकार ने पिछले साल 25 नवंबर को इन नामों पर पुनर्विचार की मांग की थी.
चलिए आपको बताते हैं इन 5 अधिवक्ताओं के बारे में, जिनके नाम पर केंद्र सरकार को आपत्ति है.
1. सौरभ कृपाल
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बुधवार, 18 जनवरी को केंद्र सरकार से कहा कि सौरभ कृपाल (Saurabh Kirpal) समलैंगिक हैं, इस आधार पर दिल्ली हाई कोर्ट में जज के रूप में उनकी "उम्मीदवारी को खारिज करना असंवैधानिक है".
सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील, सौरभ कृपाल को 2018 में जज के रूप में पदोन्नत किया जा सकता था, लेकिन सरकार द्वारा उनकी नियुक्ति को कम से कम तीन बार टाल दिया गया.
सौरभ कृपाल भारत के पूर्व CJI बी एन कृपाल के बेटे हैं. उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन की है. वहीं उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. पोस्टग्रेजुएट (लॉ) कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से किया है. सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने दो दशक तक प्रैक्टिस की है. उन्होंने यूनाइटेड नेशंस के साथ जेनेवा में भी काम किया है.
सौरभ की ख्याति 'नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ' के केस को लेकर है, दरसअल वह धारा 377 हटाये जाने को लेकर याचिकाकर्ता के वकील थे. सितंबर 2018 में धारा 377 को लेकर जो कानून था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था.
2. सोमशेखर सुंदरेसन
अधिवक्ता सोमशेखर सुंदरसन (Somasekhar Sundaresan) कमर्शियल लॉ में विशेषज्ञता रखते हैं. एक बिजनेस जर्नलिस्ट से वकील बने सुंदरसन अक्सर कमर्शियल लॉ, बिजनेस के साथ-साथ राजनीति और संवैधानिक मामलों पर विभिन्न डिजिटल और प्रिंट प्लेटफार्मों के लिए लिखते हैं.
सुंदरसन ने वित्त मंत्रालय द्वारा स्थापित विदेशी निवेश पर कार्यकारी समूह के स्थायी आमंत्रित सदस्य और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा गठित अधिग्रहण विनियम सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया है.
वह जे सागर एसोसिएट्स में पार्टनर और कैपिटल मार्केट प्रैक्टिस के प्रमुख भी रह चुके हैं. ऑक्सफैम इंडिया की वेबसाइट के मुताबिक, सुंदरसन वहां के बोर्ड मेंबर हैं.
अधिवक्ता सोमशेखर सुंदरेसन पर, कॉलेजियम के बयान में कहा गया है कि सरकार ने उनके नाम पर पुनर्विचार की मांग इस आधार पर की थी कि "उन्होंने कई मामलों पर सोशल मीडिया में अपने विचार रखे हैं जो अदालतों में विचाराधीन हैं."
3. अमितेश बनर्जी
कलकत्ता हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अमितेश बनर्जी (Amitesh Bannerjee) सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यूसी बनर्जी के बेटे हैं.
बनर्जी ने 2002 गोधराकांड की जांच के लिए UPA सरकार की ओर से गठित कमेटी का नेतृत्व किया था. साल 2006 में सामने आई कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया था कि आग दुर्घटनावश लगी थी.
4. शाक्य सेन
अधिवक्ता शाक्य सेन श्यामल सेन के पुत्र हैं, जिन्हें फरवरी 1986 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था.
रिटायर्ड जस्टिस सेन ने शारदा ग्रुप पोंजी घोटाले की जांच के लिए गठित आयोग का नेतृत्व किया था. वह बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और मई 1999 से दिसंबर 1999 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रहे.
5. आर जॉन सत्यन
आर जॉन सत्यन ( R John Sathyan) मद्रास हाई कोर्ट में अधिवक्ता हैं. वह आपराधिक मामले देखते हैं. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा चेन्नई के कॉर्ली हायर सेकेंडरी स्कूल से की है. मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से जूलॉजी में M.Sc पूरा करने के बाद, सत्यन ने मद्रास लॉ कॉलेज से लॉ की डिग्री हासिल की.
साल 1998 में उन्होंने वकालत की शुरुआत की. हाल ही में 12 जनवरी 2023 को मद्रास हाई कोर्ट ने उन्हें 'वरिष्ठ अधिवक्ता' के रूप में पदोन्नत किया.
सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने पहली बार 16 फरवरी, 2022 को पांच और लोगों के साथ आर जॉन सत्यन की सिफारिश की थी. लेकिन 25 नवंबर को सत्यन की फाइलें वापस कर दी गई थी. कोलेजियम ने अपने खुलासे में बताया है कि सरकार ने उनके नाम को इसलिए वापस भेजा क्योंकि उन्होंने पीएम मोदी की आलोचना वाले 'द क्विंट' के आर्टिकल को पोस्ट किया था और NEET फेल करने वाली एक अभ्यर्थी की खुदकुशी को राजनीतिक हत्या बताया था.
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