निर्भया गैंगरेप मामले में दोषियों को फांसी की सजा देने में हो रही देरी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा मामले में नई गाइडलाइन तय की है. सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा से जुड़े आपराधिक मामलों में सुनवाई के लिए छह महीने का समय तय किया है.
अगर हाईकोर्ट किसी को मौत की सजा सुनाता है, तो उस दिन से अगले 6 महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच उस मामले की सुनवाई करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी को ये गाइडलाइन जारी की है. गाइडलाइन में कहा गया है, सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दाखिल होते ही रजिस्ट्री मौत की सजा सुनाने वाली कोर्ट को 60 दिन (या जो भी समय कोर्ट तय करे) के भीतर सभी कागजात सौंपने का आदेश देगी.
अगर रजिस्ट्री को मामले से जुड़े अतिरिक्त दस्तावेजों की जरूरत हुई, तो 30 दिन का और समय दिया जाएगा. अगर दस्तावेज नहीं मिलते हैं, तो मामले को रजिस्ट्रार कोर्ट के सामने जज के चैंबर में सूचीबद्ध किया जाएगा.
बता दें, निर्भया गैंगरेप मामले में निचली अदालत ने 31 जनवरी को अगले आदेश तक के लिए चारों दोषियों (मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार) को फांसी देने पर रोक लगा दी थी. ये चारों दोषी इस समय तिहाड़ जेल में बंद हैं.
निर्भया से 16-17 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था और दरिंदगी के बाद उसे सड़क पर फेंक दिया था. निर्भया की बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गयी थी. इन छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि छठा आरोपी किशोर था जिसे तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)