सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में गुजरात दंगों के दौरान गैंग रेप की शिकार बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये, नौकरी और घर देने का निर्देश दिया है . सुप्रीम कोर्ट ने सबूत मिटाने के लिए एक आईपीएस अफसर को दो पद डिमोट करने की राज्य सरकार की सिफारिश को मान लिया है. हालांकि वह 31 मई को रिटायर होने जा रहे हैं.
फैसले के दौरान गुजरात सरकार ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच को बताया कि इस मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. बांबे हाई कोर्ट की ओर से दोषी करार दिए गए अधिकारियों के पेंशन लाभ रोक दिए गए हैं. साथ ही एक आईपीएस अफसर भगोरा को दो पद डिमोट कर दिया गया है. इस दौरान अदालत ने गुजरात सरकार से कहा कि खुद को किस्मतवाला समझिए कि हम आपके खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं. पहले गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो को मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपये देने का प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया.
स्पेशल कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को बिलकिस बानो का रेप करने और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या करने वाले 11 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. मामले में पुलिसकर्मियों और डॉक्टरों समेत सात लोगों को छोड़ दिया गया था.
क्या हुआ था बिलकिस के साथ ?
2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में फैले दंगों के दौरान अहमदाबाद के रंधिकपुर में 17 लोगों ने बिलकिस के परिवार पर हमला किया था और 7 लोगों की हत्या कर दी थी. बिलकिस के साथ गैंग रेप किया गया था. उस वक्त वह 5 महीने की गर्भवती थीं. उनकी दो साल की बच्ची को पीट-पीट कर मार डाला गया था. उस वक्त बिलकिस बानो की उम्र सिर्फ 19 साल थी. इसके बाद वह लगातार न्याय के लिए लड़ रही थीं.
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