सुप्रीम कोर्ट(SC) ने पिछले साल हुई लखीमपुर खीरी हिंसा(Lakhimpur Kheri violence) के कुछ पीड़ितो के कुछ रिश्तेदारों की याचिका पर सोमवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. याचिका में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को दी गई जमानत रद्द करने की मांग की गई थी.
भारत के चीफ जस्टिस एन रमना की अध्यक्षता वाली वाली पीठ ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत देते समय मामले के गुण -दोषों पर कैसे ध्यान दिया. पीठ ने आगे कहा कि "हम इस बात से को लेकर चिंतित हैं कि हाईकोर्ट ने चोटों के गुण कैसे देखे?"
सीजेआई ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा, " हम जमानत के मामले की सुनवाई कर रहे हैं, हम इसे ज्यादा आगे नहीं ले जाना चाहते. पहला सवाल यह है कि जमानत रद्द करने की जरूरत है या नहीं. हम कौन सी कार, कौन सा पोस्टमॉर्टम जैसे आदि सवालों को लेकर मनोरंजन नहीं करना चाहते हैं.
इस हिंसा में आरोपी आशीष मिश्रा का बार-बार कहना है कि 3 अक्टूबर 2021 को कथित घटना के समय अपराध स्थल पर मौजूद नहीं था. यूपी सरकार भी आशीष की जमानत रद्द करने के पक्ष में नहीं थी और कहा कि हमने सभी गवाहों को सुरक्षा प्रदान की और आरोपी द्वारा सबूतों से छेड़छाड़ करने का कोई खतरा नहीं है.
यूपी सरकार की तरफ से पेश सीनियर वकील जेठलमानी ने कहा कि रिपोर्ट राज्य को भेज दी गई है और एक फैसला लंबित है, लेकिन इस पर सीजेआई ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह कोई ऐसा मामला नहीं है जहां आप वर्षों तक इंतजार करते हैं, सीजेआई ने पूछा की जमानत रद्द करने की प्रार्थना पर राज्य का क्या रुख है.
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