जिंदगी भर कांग्रेस पार्टी में रहने वाले 91 साल के एनडी तिवारी अब बीजेपी का दामन थाम चुके हैं. अपने राजनीतिक करियर के आखरी पड़ाव में एनडी तिवारी अब अपने बेटे रोहित शेखर का करियर बनाने जुट गए हैं.
खबर यह आ रही है कि तिवारी चाहते हैं कि रोहित को उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र से टिकट मिले. इसलिए एनडी तिवारी और उनके बेटे रोहित शेखर बुधवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गए.
एनडी तिवारी की कहानी
- तीन बार रह चुके हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (1976–77, 1984–85, 1988–89)
- 1986 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी की कैबिनेट में विदेश मंत्री बने
- 2002 में उत्तराखंड राज्य बनने के बाद वह 2002 से 2007 तक उत्तराखंड के भी सीएम रह चुके हैं.
- 2007 से 2009 के बीच उन्हें आंध्र प्रदेश का गवर्नर भी बनाया गया
- 2009 में एक सेक्स स्कैंडल में नाम आने के बाद गवर्नर पद से इस्तीफा देना पड़ा
एन डी तिवारी ने रोहित शेखर को अपना बेटा मानने से किया था इनकार
साल 2008 में एन डी तिवारी ने रोहित शेखर को अपना बेटा मानने से ही इनकार कर दिया था. फिर रोहित शेखर ने कोर्ट में एक याचिका दायर कर दावा किया था कि एन डी तिवारी ही उनके बायोलॉजिकल पिता हैं, लेकिन तिवारी लगातार इस बात नकारते रहे थे.
2009 में अदालत ने मामले की सुनवाई की और तिवारी को यह आदेश दिया कि वह डीएनए टेस्ट के लिए अपने खून का सैंपल दें. 2011 में कोर्ट की निगरानी में एनडी तिवारी को जांच के लिए अपना खून देना पड़ा था. जांच हैदराबाद के सेंटर फोर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायएग्नोस्टिक्स में हुई थी. ब्लड सैंपल की जांच रिपोर्ट अदालत को सौंप दी थी.
डीएनए रिपोर्ट में यह साफ हो गया कि एन डी तिवारी ही रोहित शेखर के बायोलॉजिकल पिता और उज्ज्वला शर्मा उनकी बायोलॉजिकल मां है. कोर्ट और डीएनए रिपोर्ट के बाद एक समारोह में एनडी तिवारी ने बेटे रोहित और उज्ज्वला को पत्नी माना था और बाद में उज्ज्वला शर्मा से शादी भी की थी.
एन डी तिवारी के अलावा और भी कई कांग्रेसी बीजेपी में शामिल
एन डी तिवारी के बीजेपी में शामिल होने से पहले 40 साल तक कांग्रेस में रहे दिग्गज नेता और प्रदेश के सिंचाई मंत्री यशपाल आर्य अपने बेटे संजीव के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे. वहीं कांग्रेस के नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम विजय बहुगुणा भी 9 कांग्रेस एमएलए के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे.
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