लंबे समय तक चले अभियान के बाद शुक्रवार को शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट ने दशकों पुरानी परंपरा तोड़ते हुए महिलाओं को मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दे दी.
मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने के सारे लैंगिक प्रतिबंधों को हटाने की यह खुशखबरी भी महाराष्ट्र के लोगों को ‘गुडी पड़वा’ जैसे पवित्र दिन पर मिली है. इस दिन राज्य में लोग नए साल की खुशियां मनाते हैं.
मंदिर ट्रस्ट ने कोर्ट के फैसले के बाद किया ऐतिहासिक बदलाव
ट्रस्ट के प्रवक्ता ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है. अब मंदिर में सभी भक्तों को बिना किसी रोक के प्रवेश की अनुमति दी जाएगी.
ट्रस्ट ने बैठक में फैसला किया है कि अब किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होगा और मंदिर के सभी हिस्से सभी के लिए खुले रहेंगे.हरिदास गायवले, ट्रस्ट के प्रवक्ता
तृप्ति देसाई ने किया फैसले का स्वागत
भूमाता ब्रिगेड की नेता तृप्ति देसाई ने इस ट्रस्ट और कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उनकी ओर से उठाया गया यह ‘समझदारी’ भरा कदम है. उन्होंने उम्मीद जताई नासिक के त्र्यंबकेश्वर और कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर भी महिलाओं के खिलाफ अन्यायपूर्ण स्थिति पर ऐसे ही निर्णय लेंगे.
यदि पुजारी के अलावा एक अकेला व्यक्ति भी मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करता है, तो अदालत के आदेश का पालन किया जाना चाहिए. हर किसी को आदेश का पालन करना होगा. आज वह दिन आ गया है, जब हम शनि के चबूतरे पर प्रवेश करेंगे.तृप्ति देसाई, नेता भूमाता ब्रिगेड
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया था महिलाओं के हक में फैसला
एक अप्रैल को बॉम्बे हाईकोर्ट की एक खंडपीठ में शामिल चीफ जस्टिस डी. एच. वाघेला और जस्टिस एम. एस. सोनक ने फैसला सुनाया था कि महाराष्ट्र हिंदू पूजास्थल (प्रवेश अधिकार) अधिनियम, 1956 के तहत, महिलाओं को किसी भी पूजा स्थल में प्रवेश से वर्जित नहीं किया जा सकता है.
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